IANS

‘एसओएस तरंग’ में 32 बाल ग्रामों के बच्चों ने दिखाई प्रतिभा

नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)| विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के उपलक्ष्य में एसओएस भारत बाल ग्राम (एसओएस भारत) ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में अपने सालाना खेल एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘एसओएस तरंग 2018’ का शुभारंभ किया, जो अगले तीन दिनों तक जारी रहेगा। एसओएस भारत बिन माता-पिता के बच्चों को ग्रुप फोस्टर केयर (सामूहिक पारिवारिक देखभाल) देने वाले प्रमुख संगठनों में एक है। यह संगठन हर वर्ष एसओएस बाल ग्रामों के बच्चों की खेल एवं संस्कृति प्रतिभाओं के प्रदर्शन के लिए क्षेत्र और जोन स्तर पर प्रतिस्पर्धाओं की श्रंखला आयोजित करता है। इस श्रंखला का समापन राष्ट्र स्तरीय प्रतिस्पर्धाओं के ग्रैंड फिनाले से होता है।

विभिन्न स्तरों पर प्रतिस्पर्धाओं की श्रंखला के साथ एसओएस इन्क्लेव और फरीदाबाद के एसओएस बाल ग्राम ग्रीनफील्ड्स में 20 नवंबर को ‘एसओएस तरंग राष्ट्रीय खेल एवं संस्कृति प्रतिस्पर्धा’ होगी। इस साल तरंग समारोह में रिले रेस, समूह नृत्य, बैडमिंटन, वॉली बॉल, समूह गान, युगल गान आदि कार्यक्रमों की बड़ी श्रंखला होगी। इस विशाल आयोजन में 32 एसओएस भारत ग्राम के 200 से अधिक बच्चे भाग लेंगे।

यह समारोह सायंकालीन मनोरंजक कार्यक्रम के संग 22 नवंबर को संपन्न होगा। समारोह में सभी विजेताओं को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए प्रमाणपत्र और पदक दिए जाएंगे।

एसओएस भारत बाल ग्राम की महासचिव अनुजा बंसल ने कहा, “विश्व बाल दिवस समारोह हर दिन मनाया जाना चाहिए और साथ ही, हर बच्चे के लिए अपने अधिकारों को जानना और समझना जरूरी है। यहां अधिकारों से हमारा तात्पर्य एक सुरक्षित परिवार के माहौल में उनके लालन-पालन से है और हम उनके समग्र विकास की बात करते हंै। बचपन सुरक्षित होगा, तभी बच्चे बुनियादी अधिकारों का लाभ ले पाएंगे जैसे शिक्षा का अधिकार, पोषण और घर का प्यार।”

उन्होंने यह भी कहा, “एसओएस भारत में हम बिन माता-पिता के बच्चों और बेघर बच्चों को न केवल एक प्यार भरा घर देते हैं बल्कि उनके संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास का भी ध्यान रखते हैं। इसके लिए हम ने समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। हमारा सालाना समारोह तरंग इन बच्चों को विभिन्न खेलों और सांस्कृति गतिविधियों में भाग लेने और अन्य ग्रामों के बच्चों से घुलने-मिलने का अवसर देता है। ऐसे आयोजनों में भाग लेने से उनके व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास होता है और साथ ही, उन्हें जीवन में अधिक संतुष्टि और अधिक खुशियां मिलती हैं।”

 

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