मप्र में पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाते-रिश्तेदार चुनावी मैदान में
भोपाल, 18 नवंबर (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भले ही कांग्रेस पर राजनीति में वंशवाद के आरोप लगाती है, लेकिन मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से ज्यादा भाजपा नेताओं के नाते-रिश्तेदार चुनाव मैदान में हैं। राज्य में दोनों दलों के पूर्व मुख्यमंत्रियों के आठ नाते-रिश्तेदार ताल ठोकते नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह (चुरहट), दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा), तथा दिग्विजय के बेटे जयवर्धन सिंह (राघोगढ़) चुनाव मैदान में हैं।
इसी तरह भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी (हाटपिपल्या), सुंदर लाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा (भोजपुर), वीरेंद्र सखलेचा के बेटे ओम प्रकाश सखलेचा(जावद), बाबूलाल गौर की पुत्रवधु कृष्णा गौर (भोपाल, गोविंदपुरा), उमा भारती के भतीजे राहुल सिंह (खरगापुर) चुनावी मैदान में है।
इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह मसानी (वारा-सिवनी) भाजपा से बगावत कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं और अब वह कांग्रेस की खूबियां और भाजपा की कमियां गिना रहे हैं, भाजपा पर परिवारवाद का आरोप लगा रहे हैं।
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय वंशवाद का उदाहरण गांधी परिवार को मानते हैं। हालांकि वह यह भी कहते हैं, “योग्यता के आधार पर किसी को उम्मीदवार बनाना वंशवाद नहीं, बल्कि यह उसकी क्षमता का सम्मान है।”
दूसरी ओर भाजपा से बगावत करने वाली ग्वालियर की पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने पार्टी में परिवारवाद और जातिवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। साथ ही वह ग्वालियर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं।
भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही नेता परिवारवाद को अपने-अपने तरह से सुविधा के अनुसार परिभाषित कर रहे हैं। मगर किसी के पास यह जवाब नहीं है कि इन लोगों को पहली बार टिकट तो अपने पिता या रिश्तेदारों के प्रभाव और उनकी हैसियत से ही मिला होगा।