चार महीने बाद आया ऐसा संयोग, मनेगी देवों की दिवाली और गूंज उठेगा पूरा प्रलोक, फिर से बरसेगी धरती पर खुशियां
कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष या देवउठनी एकादशी का बहुत ही बड़ा महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान वष्णु क्षीर सागर में 4 महीने की नींद के बाद जागते हैं, जिसके बाद कई तरह के शुभ ऐर मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। लोगों की जिंदगियों में पुन: खुशियां आने लगती हैं।
दरअसल आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु क्षीर सागर में सोने के लिए चले जाते हैं जिसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। इन चार महीनों में पूरी सृष्टि की जिम्मेदारी भगवान शंकर के साथ अन्य देवी -देवताताओं के कंधे पर आ जाती है।
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ ही सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इसकी खुशी में सभी देवी-देवता पृथ्वी पर एक साथ आकर देव दीवाली मनाते है जिसका बहुत महत्व होता है। इस बार देवोत्थान एकादशी 19 नवंबर को मनाई जाएगी। दिवाली के समय भगवान विष्णु निद्रा में लीन होते हैं, इसलिए लक्ष्मी की पूजा उनके बिना ही की जाती है।