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अवैध उत्पाद से लाखों वैध रोजगार पर मंडरा रहा संकट : फिक्की कास्केड

 नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)| अवैध उत्पाद भारतीय उद्योग पर नकारात्मक असर डाल रहे हैं और लाखों वैध रोजगार पर संकट पैदा कर रहे हैं। अवैध वस्तुओं में कारोबार विभिन्न देशों व क्षेत्रों में फैला है और अरबों डॉलर के उद्योग का प्रतिनिधित्व करता है और लगातार बढ़ रहा है।

  एक अनुमान के मुताबिक, वैश्विक जीडीपी का 8 से 15 फीसदी अवैध कारोबार व आपराधिक गतिविधियों से प्रभावित है। हाल में दिल्ली में संपन्न अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में फिक्की कास्केड (अर्थव्यवस्था को नष्ट कर रही जालसाजी और तस्करी जैसी गतिविधियों के खिलाफ कमेटी) ने यह बात कही।

एक बयान में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि हाल के अध्ययनों में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि 2022 तक वैश्विक स्तर पर अवैध कारोबार का आकार 2.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है और इसके व्यापक सामाजिक, निवेश व आपराधिक दबाव के कारण इसका प्रभाव 4.2 ट्रिलियन डॉलर तक जा सकता है। इससे 54 लाख वैध रोजगार पर संकट मंडरा रहा है।

फिक्की कास्केड की रिपोर्ट के मुताबिक, केवल सात क्षेत्रों-ऑटो कंपोनेंट, एल्कोहलिक पेय, कंप्यूटर हार्डवेयर, एफएमसीजी-पैकेज्ड गुड्स, एफएमसीजी-पर्सनल गुड्स, तम्बाकू और मोबाइल फोन के अवैध कारोबार से उद्योग जगत को अनुमानित 1,05,381 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अवैध कारोबार सरकार के राजस्व पर भी असर डाल रहा है और इन उद्योगों में राजकोष को 39,239 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

फिक्की कॉन्फ्रेंस में कानून एवं न्याय मंत्रालय के विधि मामलों के विभाग के सचिव सुरेश चंद्रा ने कहा कि जालसाजी और तस्करी का तीन तरह से हानिकारक प्रभाव पड़ता है। सबसे पहले यह निर्माताओं को प्रभावित करता है, उनके उद्योग के विकास पर असर डालता है और उस सेक्टर के मुनाफे को प्रभावित करता है, इसलिए देश में रोजगार के विकास पर असर पड़ता है।

भारत में तस्करी के बड़े कारणों में टैक्स की ऊंची दरें, ब्रांड की लालसा, जागरूकता की कमी, जटिल प्रवर्तन, सस्ते विकल्प, मांग व आपूर्ति में अंतर आदि शामिल हैं और यह कई तरीकों जैसे मिस-डिक्लेरेशन (संबद्ध एजेंसियों को गलत जानकारी देना), अवमूल्यन (आयात या निर्यात के मूल्य को कम करके दिखाना), मिसयूज ऑफ एंड यूज (किसी अन्य उद्देश्य के नाम पर लाई हुई वस्तु का अवैध तरीके से गलत कार्य में उपयोग) और अन्य माध्यमों से होती है।

तस्करी कर लाई हुई वस्तुओं में नशीली दवा, सोना और सिगरेट की बड़ी हिस्सेदारी के साथ पिछले कई दशक से भारतीय प्रशासन एवं उद्योग के समक्ष तस्करी चिंता का विषय रही है। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के मुताबिक, 2016-17 में क्रमश: 435 करोड़ रुपये और 78 करोड़ रुपये का सोना और सिगरेट जब्त किया गया। 2016-17 में 4885 करोड़ रुपये की नशीली दवाएं जब्त की गईं।

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