सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा सीवीसी से मिले, पक्ष रखा
नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक आलोक वर्मा गुरुवार को मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के.वी. चौधरी से मिले और उन पर लगाए गए रिश्वत के आरोप पर अपना पक्ष रखा।
सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने उनके खिलाफ यह आरोप लगाया है। सीवीसी अधिकारियों के अनुसार, वर्मा दक्षिण दिल्ली के आईएनए मार्केट स्थित सीवीसी मुख्यालय अपरान्ह करीब एक बजे पहुंचे और एक घंटे से अधिक समय तक वहां रहे।
सीवीसी सूत्रों के अनुसार, सीबीआई निदेशक, चौधरी के अलावा सतर्कता आयुक्त शरद कुमार से भी मिले।
अधिकारियों ने कहा कि अस्थाना द्वारा वर्मा पर लगाए गए आरोपों की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों से सतर्कता आयोग ने हाल ही में पूछताछ की है।
वर्मा ने मंगलवार को अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को खारिज किया था और कहा कि उन्होंने जो कार्रवाई की वह अस्थाना के खिलाफ चल रहे मामले की जांच से संबंधित थी।
सीवीसी को दिए जवाब में वर्मा ने अस्थाना द्वारा लगाए गए सभी आठ आरोपों पर अपने जवाब पेश किए।
अस्थाना ने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव से शिकायत की थी कि मांस कारोबारी मोईन कुरैशी के मामले में आरोपी सतीश बाबू साना ने वर्मा को 2 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी।
एक नाटकीय घटनाक्रम में केंद्र सरकार ने 24 अक्टूबर को वर्मा से सीबीआई निदेशक के सभी अधिकार वापस ले लिए और उन्हें छुट्टी पर भेज दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने 26 अक्टूबर को सीवीसी को निर्देश दिया कि वह वर्मा पर लगे आरोपों की जांच दो सप्ताह में करे और सीबीआई के एक पूर्व न्यायाधीश ए.के. पटनायक को इस जांच की निगरानी का कार्य सौंपा। वर्मा ने अपने खिलाफ लगे आरोपों और सरकार द्वारा अधिकार वापस लेने और छुट्टी पर भेजने के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई में आंतरिक कलह उस समय सार्वजनिक हो गई जब हैदराबाद के व्यवसायी साना के बयान के आधार पर अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
सीबीआई ने 15 अक्टूबर को साना से दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने के आरोप में अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। आरोप है कि मीट कारोबारी मोईन कुरैशी के केस को रफ-दफा करने के लिए दो बिचौलियों मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद के जरिये दो करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई।