‘अपनी संस्कृति और परम्परा को न भूलें’ ज्ञानकुम्भ 2018 मे बोले सीएम यूपी योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार में उत्तराखंड सरकार व पतंजलि योगपीठ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हो रहे ज्ञानकुम्भ 2018 के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ ने कहा, ” हमें अपने भारतीय ज्ञान पर गर्व होना चाहिए। हमें अपनी संस्कृति और परम्परा को भूलना नहीं है।”
भारत ने विश्व को गति के नियम, शून्य, दशमलव, पाई का मान आदि की जानकारी सदियों पहले दे दी थी। हमें अपनी संस्कृति और ज्ञान को किसी न किसी रूप में अपने पाठ्यक्रमों से जोड़ना चाहिए।
पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार में आयोजित हो रहे ‘‘ज्ञान कुम्भ 2018’’ के द्वितीय दिवस के पहले सत्र में उच्च शिक्षा और भारतीय ज्ञान परंपरा विषय के अंतर्गत चर्चा हुई। सत्र की अध्यक्षता संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक डॉ.अतुल कोठारी ने की।
कार्यक्रम में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री उत्तराखंड डाॅ.धन सिंह रावत ने कहा,” संस्कृत विश्वविद्यालय में योग और वेद की शिक्षा को अनिवार्य किया जाएगा। 5 सितंबर को प्रोफेसर को भी सम्मानित किया जाएगा। भारतीय ज्ञान परम्परा को अपने कोर्स में सम्मिलित करने के लिए 3 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा।”
महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के डॉ.निलिंब त्रिपाठी ने कहा कि हमें हमारे पाठ्यक्रमों से नीरसता को समाप्त करना होगा। शिक्षक को भी लगातार सीखते रहने की आवश्यकता है। हमें आध्यात्मिकता को भी उच्च शिक्षा से जोड़ने की आवश्यकता है।
स्वामी रामदेव ने कहा,” शिक्षा में भेदभाव को समाप्त किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालयों को अपने शिक्षार्थियों के सामथ्र्य को समझने की जरूरत है। विश्वविद्यालयों का वातावरण ऐसा बनाए जाने की आवश्यकता है कि विदेशों से लोग भारत में शिक्षा प्राप्त करने आएं।”
दूसरे दिन के दूसरे सत्र में “Innovation Research and Quality Improvement” विषय के अंतर्गत शिक्षा को भारतीयता, भारतीय परम्परा और भारतीय ज्ञान से जोड़ने की बात कही गई। सत्र की अध्यक्षता करते हुए यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं के साथ-साथ स्थानीय समस्याओं पर भी सर्वे और रिसर्च को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही बजट में रिसर्च और इनोवेशन में खर्च की जाने वाली राशि को भी बढ़ाया जाना चाहिए। शोधार्थियों को शोध कार्यों के लिए गाँवों की ओर भेजा जाना चाहिए।
कार्यक्रम में इस बात की जानकारी दी गई कि 100 गरीब बच्चों को पतंजलि योगपीठ के सहयोग से शोध कार्य के लिए एक MOU किया जाएगा। गढ़वाली और कुमाऊनी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए अध्ययन केंद्र स्थापित किए जाएंगे।