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सीएम योगी का दिवाली तोहफा संतो को नहीं आया पसंद, ‘राम मंदिर’ के आगे ठुकराया ये बड़ा उपहार

अयोध्या में राम मंदिर को लेकर योगी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। गुजरात में सरदार पटेल जी के ‘Statue Of Unity’ की प्रतिमा बनने बनने के बाद यूपी के अयोध्या में योगी सरकार ने 151 मीटर लंबी राम मंदिर बनवाने का फैसला किया है। सीएम योगी के इस फैसले पर साधु-संत नाराज हो गए हैं, उनका कहना है कि राम मंदिर ही चाहिए।
Image result for राम मंदिर पर दिल्ली में संतों की बैठकराम मंदिर निर्माण को लेकर पूरे देश के साधू संत ने दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में जमा होकर बैठक शुरु की है। आपको बता दें कि संतों की यह बैठक ‘धर्मा देश’ शनिवार को शुरू हुई है। साथ ही धर्मा देश के पहले दिन अलग-अलग दंगों में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी जाएगी। इतना ही नहीं मस्जिदों द्वारा दिए जा रहे फतवा पर भी चर्चा होगी।
Image result for महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वतीधर्मा देश में साधु-संत राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार पर आदेश लाने के लिए मांग करेंगे। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि संत समाज देश के अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करेंगे। साथ ही उन्होंने ‘Private Member Bill’ लाने को कहा और बोले की इससे साफ हो जाएगा कि कौन राम मंदिर के पक्ष में है और कौन विरोध में।

आगे उन्होंने कहा कि संत समाज सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए आदेश देगा। अगर सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में कानून लेकर नहीं आती कुंभ के दौरान साधु-संत बैठक करेंगे और फैसला करेंगे।

क्या है प्राइवेट मेंबर बिल?

दरअसल, किसी भी कानून को पारित कराने के लिए सबसे पहले बिल पेश किया जाता है। संसद के सदन लोकसभा और राज्यसभा में कोई बिल पेश कर पास करने के बाद ही राष्ट्रपति की सहमति मिलने से वह कानून का रूप लेता है। संसद में बिल सरकार के किसी भी मंत्री या संसद के किसी भी सदस्य के जरिए लाया जा सकता है। सरकार के मंत्री अगर बिल लाते हैं तो उसे गवर्नमेंट बिल और दूसरी स्थिति को प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में जाना जाता है।

लोकसभा और राज्यसभा में जो सांसद मंत्री नहीं है वह एक निजी सदस्य कहलाए जाते हैं. लोकसभा में ऐसे सदस्यों की ओर से जो विधेयक पेश किया जाता है। उसे निजी विधेयक या प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पर जाना जाता है। लेकिन प्राइवेट मेंबर बिल के पारित होने की संभावना काफी कम रहती है क्योंकि इन विधेयकों का कानून का रूप लेना सरकार के रुख पर भी निर्भर रहता है। लोकसभा और राज्यसभा में हर शुक्रवार दोपहर के बाद संसदीय कार्यवाही में प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने के लिए समय तय होता है।

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