असम से एक अजीवोगरीब मामला सामने आया है, जिसमें एक पत्नी को सिर्फ इसलिए उम्रकैद की सजा सुना दी गई क्योंकि वो अपने पति की मौत पर रोई नहीं थी। एक हत्या के मामले में स्थानीय कोर्ट ने पत्नी को उसके पति की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुना दी थी, वो भी सिर्फ इसलिए की पत्नी रोई नहीं थी।
हैरानी की बात यह है कि महिला को इस तर्क के आधार पर न सिर्फ निचली अदालत ने सज़ा सुनाई थी बल्कि अदालत के फैसले को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। हाईकोर्ट ने कहा था कि महिला का अपने पति की अप्राकृतिक मौत पर न रोना एक अप्राकृतिक आचरण है, जो बिना किसी संदेह महिला को दोषी साबित करता है।
बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए महिला को बरी करने का आदेश सुनाया।