कनेक्टिविटी परियोजनाओं में देशों की संप्रभुता का सम्मान हो : भारत
नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)| विदेश सचिव विजय गोखले ने गुरुवार को कहा कि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी परियोजनाओं में सभी देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय एकता का सम्मान किया जाना चाहिए। विदेश सचिव की इस टिप्पणी को चीन के बेल्ट व रोड पहल (बीआरआई) को लक्ष्यित करने के तौर पर देखा जा सकता है।
विदेश सचिव ने यह टिप्पणी दक्षिण एशिया में भारत-प्रशांत संदर्भ में आयोजित एक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी सम्मेलन के दौरान की।
गोखले ने कहा, “देशों के पार भौतिक हार्डवेयर सिर्फ विश्व व्यवस्था पर आधारित एक सार्वजनिक व वैश्विक नियमों पर खुद को बनाए रख सकते हैं।
इस सम्मेलन का आयोजन कट्स इंटरनेशनल विशेषज्ञ समूह, उद्योग संस्था फिक्की व अमेरिकी विदेश विभाग ने यहां आयोजित किया था।
उन्होंने कहा, “इस तरह की व्यवस्था में सभी राष्ट्रों की समानता, संप्रभुता, क्षेत्रीय एकता को कायम रखा जाना चाहिए।”
विदेश सचिव की यह टिप्पणी भारत द्वारा बुधवार को चीन व पाकिस्तान के साथ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रास्ते लाहौर व काश्गर के बीच बस सेवा शुरू करने पर कड़ा विरोध दर्ज कराने के बाद आई है।
यह बस सेवा शनिवार को शुरू होनी है।
काश्गर, चीन के शिंजियांग क्षेत्र में सुदूर पश्चिम का एक शहर है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “भारत सरकार की यह दृढ़ स्थिति है कि तथाकथित 1963 का चीन-पाकिस्तान सीमा समझौता अवैध व गैरकानूनी है और भारत इसे कभी मान्यता नहीं देता है।”
उन्होंने कहा, “इसलिए पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू एवं कश्मीर से इस तरह की कोई बस सेवा भारत की संप्रभुता व क्षेत्रीय एकता का उल्लंघन होगा।”
यह बस सेवा पाकिस्तान व चीन के बीच दोस्ती बढ़ाने का एक प्रयास है, लेकिन विवाद इस तथ्य को लेकर है कि बस का मार्ग पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है।
पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का एक हिस्सा है। यह गलियारा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीआरआई परियोजना का मुख्य भाग है।
भारत, बीआरआई में शामिल नहीं है। भारत का मानना है कि यह परियोजना दूसरे देशों की क्षेत्रीय एकता का सम्मान नहीं करती है।
गोखले ने गुरुवार को अपने संबोधन में कहा, “सभी देशों को अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “यह सबसे जरूरी है और इसकी दुनिया के हमारे हिस्से (हिंद महासागर ) में ज्यादा जरूरत है और इस तरह की कोई व्यवस्था हिंद महासागर भूक्षेत्र में स्थित देशों की प्रधानता के अनुरूप स्वाभाविक रूप से होनी चाहिए।”
गोखले ने कहा, “कनेक्टिविटी सिर्फ तभी सार्थक हो सकती है, जब हर किसी की अंतर्राष्ट्रीय नियमों के तहत इस तक समान रूप से पहुंच हो, जिसके लिए नौपरिवहन की स्वतंत्रता, बेरोक वाणिज्य व अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे की जरूरत होगी।”