श्रीलंका : राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रपति ने संसद स्थगित की
कोलंबो, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)| श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना द्वारा शुक्रवार को प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे को हटाकर उनके स्थान पर महिंदा राजपक्षे को लाने के बाद देश में उत्पन्न हुए राजनीतिक संकट के बीच उन्होंने शनिवार को संसद स्थगित कर दी। ‘द डेली मिरर’ ने स्पीकर के कार्यालय के हवाले से कहा कि संसद का अगला सत्र 16 नवंबर से शुरू होगा।
राष्ट्रपति सचिवालय ने कहा कि सिरिसेना ने संसद को 16 नवंबर तक स्थगित करने का निर्देश दिया था और राजपत्रीय सूचना जारी कर दी गई है।
कैबिनेट प्रवक्ता रजित सेनारत्ने ने संवाददाताओं को बताया, “राष्ट्रपति ने शनिवार दोपहर 12 बजे से संसद को प्रभावी रूप से निलंबित कर दिया।”
इससे पहले सिरिसेना ने शुक्रवार रात विक्रमसिंघे को हटा दिया था और उनके स्थान पर पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे को नियुक्त कर दिया था। क्रेंद्र की गठबंधन सरकार से उनकी युनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलाइंज (यूपीएफए) के समर्थन वापस लेने के बाद उन्होंने यह आश्चर्यजनक कदम उठाया था।
गठबंधन सरकार में यूपीएफए और यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) हैं।
सिरिसेना ने कहा कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 42 (3) के तहत काम किया है। इसके अनुसार, राष्ट्रपति सांसद को प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त करेगा, जिसे संसद का विश्वास मत साबित करना होगा।
विक्रमसिंघे और उनकी पार्टी ने राष्ट्रपति के निर्णय को अवैध करार देते हुए स्पीकर करु जयसूरिया से रविवार को संसद का सत्र बुलाने का आग्रह किया था ताकि वह साबित कर सकें कि उनके पास संसदीय बहुमत है और वह अभी भी प्रधानमंत्री हैं।
उन्होंने कहा, “मैं देश को अराजकता की ओर धकेले बिना संसद बुलाने का आग्रह करता हूं। देश में संकट खड़ा करने की जरूरत नहीं है। संसद को तय करने दीजिए कि कौन प्रधानमंत्री है।”
विक्रमसिंघे ने कहा कि सिसिसेना के संसद स्थगित करने के निर्णय से यह दिखता है कि वह और राजपक्षे संसद में बहुमत खो चुके हैं।
राजपक्षे की पार्टी श्रीलंका पोडुजना पेरामुना ने दावा किया कि 225 सदस्यीय संसद में उनके पास बहुमत हैं और संसद द्वारा मांगने पर वे साबित करेंगे।
स्पीकर ने बयान जारी कर सभी राजनीतिक दलों और जनता से शांति रखने की अपील करते हुए कहा कि वे वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता का समाधान संविधान के तहत लोकतांत्रित तरीके से निकालेंगे।
श्रीलंका के वित्त मंत्री मंगला समरवीरा और राष्ट्रीय नीति एवं अर्थव्यवस्था मामलों के मंत्री हर्षा डी सिल्वा ने सिरिसेना के कृत्य को अवैध करार देते हुए इसे संविधान का उल्लंघन बताया।