सेंसेक्स में 2.82 फीसदी और निफ्टी में 2.65 फीसदी की गिरावट (साप्ताहिक समीक्षा)
मुंबई, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)| बीते सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव का दौर रहा और बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। इसमें चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार युद्ध और वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट की आशंका की प्रमुख भूमिका रही। इसके अलावा भारत की मुद्रा रुपये में गिरावट का भी घरेलू बाजारों पर असर पड़ा। साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स 966.32 अंकों या 2.82 फीसदी की गिरावट के साथ 33,349.31 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 273.55 अंकों या 2.65 फीसदी की गिरावट के साथ 10,030 पर बंद हुए। बीएसई के मिडकैप सूचकांक में 188.15 अंकों या 1.34 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 13,870.15 पर बंद हुआ, जबकि स्मॉलकैप सूचकांक 485.28 अंकों या 3.45 फीसदी की गिरावट के साथ 13,597.64 पर बंद हुआ।
सोमवार को शेयर बाजारों की कमजोर शुरुआत हुई और सेंसेक्स 181.25 अंकों या 0.53 फीसदी की गिरावट के साथ 34,134.38 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 58.30 अंकों या 0.57 फीसदी की गिरावट के साथ 19,245.25 पर बंद हुआ।
मंगलवार को सेंसेक्स में 287.15 अंकों या 0.84 फीसदी की गिरावट हुई और यह 33,847.23 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 98.45 अंकों या 0.96 फीसदी की गिरावट के साथ 10,146.80 पर बंद हुआ।
बुधवार को कच्चे तेल की कीमतों के गिरने और रुपये में डॉलर के खिलाफ गिरावट के थमने से शेयर बाजारों को सहारा मिला सेंसेक्स 186.73 अंकों या 0.55 फीसदी की गिरावट के साथ 34,033.96 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 77.95 अंकों या 0.77 फीसदी की गिरावट के साथ 10,224.75 पर बंद हुआ।
गुरुवार को कारोबार में तेज उतारचढ़ाव दर्ज किया गया और शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 343.87 अंकों या 1.01 फीसदी की गिरावट के साथ 33,690.09 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 99.85 अंकों या 0.98 फीसदी की गिरावट के साथ 10,124.90 पर बंद हुआ।
कारोबारी सप्ताह के अंतिम दिन शुक्रवार को एक बार फिर शेयर बाजारों में तेज गिरावट दर्ज की गई और सेंसेक्स 340.78 अंकों या 1.01 फीसदी की गिरावट के साथ 33,349.31 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 94.90 अंकों या 0.94 फीसदी की गिरावट के साथ 10,030 पर बंद हुआ।
बीते सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में भारती एयरटेल (4.24 फीसदी) शामिल रहा।
सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे – यस बैंक (17.06 फीसदी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (4.89 फीसदी), एचडीएफसी बैंक (0.23 फीसदी), आईटीसी (2.70 फीसदी), विप्रो (1.38 फीसदी), मारुति सुजुकी इंडिया (0.82 फीसदी), हीरो मोटोकॉर्प (0.19 फीसदी) और बजाज ऑटो (0.18 फीसदी)।
आर्थिक मोर्चे पर, भारत का बजटीय राजकोषीय घाटा पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में 5.95 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जोकि पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य 6.24 लाख करोड़ रुपये का 95.3 फीसदी है। यह जानकारी गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से मिली। आंकड़ों से जाहिर है कि पहली छमाही में राजकोषीय घाटे में इजाफा मुख्य रूप से राजस्व वृद्धि की रफ्तार मंद पड़ने के कारण हुआ है।
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा संपादित आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल की समान अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा 91.3 फीसदी था। सरकार का कुल व्यय सितंबर तक 13 लाख करोड़ रुपये (बजट अनुमान का 53.4 फीसदी) था जबकि कुल प्राप्तियां 7.09 लाख करोड़ रुपये (बजट अनुमान का 39 फीसदी) था। यह 2017-18 की समान अवधि में प्राप्त राजस्व की तुलना में 40.6 फीसदी है।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “राज्य सरकारों को इस अवधि में कर की हिस्सेदारी के हस्तांतरण के तौर पर 3,22,189 करोड़ रुपये की राशि दी जा चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 33,093 करोड़ रुपये ज्यादा है।”
कुल व्यय में राजस्व खाते में 11.41 लाख करोड़ रुपये और पूंजी खाते में 1.63 लाख करोड़ रुपये हैं।
वित्त मंत्रालय ने बताया कि कुल राजस्व खर्च में ब्याज भुगतान खाते में 2,55,432 करोड़ रुपये और प्रमुख अनुदान खातों में 1,88,291 करोड़ रुपये हैं।
दूसरी ओर, कुल प्राप्तियों में कर राजस्व 5.83 करोड़ रुपये, गैर-कर राजस्व 1.09 करोड़ रुपये और गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियां 17,731 करोड़ रुपये शामिल हैं।
गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों में कर्ज वसूली 7,786 करोड़ रुपये और सार्वजनिक क्षेत्र में विनिवेश की राशि 9,945 करोड़ रुपये है।