#KarwaChauth2018 : आखिर क्या है “छलनी से चांद” देखकर व्रत तोड़ने का रहस्य?
करवाचौथ में छलनी से चांद और पति को देखर व्रत तोड़ने के पीछे है कई रहस्य
इस बार करवाचौथ (KarwaChauth) का व्रत 27 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस व्रत में छलनी का बहुत ही महत्व है। इस दिन सभी महिलाएं सामानों के साथ-साथ छलनी भी रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं अपने पति को इस छलनी में देखकर तोड़ती हैं।
करवाचौथ का व्रत शादी-शुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। शादी-शुदा महिलाएं इस छलनी में पहले दीपक रख चांद को देखती हैं और फिर अपने पति को निहारती हैं। इसके बाद पति उन्हें पानी पिलाकर व्रत पूरा करवाते हैं।
ऐसे में कभी सोचा है पति और चांद दोनों को छलनी से ही क्यों देखा जाता है? इसके पीछे की आखिर वजह क्या है? हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। चांद में सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं, इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं।
क्यों देखती हैं महिलाएं छलनी में अपने पति को?
छलनी को लेकर एक और पौराणिक कथा के मुताबिक एक साहूकार के सात लड़के और एक बेटी थे। बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था।
रात के समय जब सभी भाई भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन को भी खाने के लिए आंमत्रित किया। लेकिन बहन ने कहा – “भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्य देकर भोजन करूंगी।” बहन की इस बात को सुन भाइयों ने बहन को खाना खिलाने की योजना बनाई।
भाइयों दूर कहीं एक दिया रखा और बहन के पास छलनी ले जाकर उसे प्रकाश दिखाते हुए कहा कि – बहन! चांद निकल आया है। अर्घ्य देकर भोजन कर लो। इस प्रकार छल से उसका व्रत भंग हुआ और पति बहुत बीमार हुआ। ऐसा छल किसी और शादीशुदा महिला के साथ ना हो इसीलिए छलनी में ही दिया रख चांद को देखने की प्रथा शुरू हुई।