भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996 में चुनाव जीतने के बाद शपथ ग्रहण की, लेकिन उसके ठीक बाद कुछ ऐसा हुआ की उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया। वाजपेयी ने 1996 में सरकार बनाने के ठीक 6 दिन बाद इस्तीफा देना पड़ गया।
दरअसल, बीजेपी को लोकसभा में 161 सीटें मिली थीं और कांग्रेस को 140 सीटें मिली थीं, लेकिन फ्लोर टेस्ट के दौरान वाजपेयी सरकार के पक्ष में 269 वोट और उनके विरोध में 270 वोट पड़े थे। इस्तीफा देने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में यादगार भाषण दिया। इसी के साथ सिर्फ एक वोट के चलते वाजपेयी सरकार बनाने से असमर्थ हो गए और बीजेपी सरकार गिर गई।
उन्होंने लोकसभा में कहा था कि सदन में एक व्यक्ति की पार्टी है, वो हमारे खिलाफ जमघट करके हराने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें पूरा अधिकार है लेकिन वो ‘एकला चलो रे’ के रास्ते पर चल रहे हैं। ये देश के भलाई के लिए एक हो रहे हैं, तो स्वागत है।
बीजेपी की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस के हाथ में बाजी थी, बीजेपी के बाद कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी, जिसे 140 सीटें मिली थीं। वहीं तीसरे नंबर पर थी जनता दल, जिसके पास 46 सीटें थीं। कांग्रेस ने अपने किसी नेता का नाम आगे ना बढ़ाते हुए जनता दल के नेता एचडी देवगौड़ा को पीएम बनाया और जनता दल का समर्थन किया। तीसरे नंबर पर आने के बावजूद जनता दल के नेता को पीएम बनने का मौका मिला।