IANS

पर्व पर पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाले पटाखे चलाने को मंजूरी

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)| पटाखों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने से इनकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को सभी धार्मिक त्योहारों के दौरान पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाले पटाखों का प्रयोग करने की इजाजत दी, जिससे कम उत्सर्जन हो और ध्वनि प्रदूषण का स्तर कम बना रहे। तीन नवजातों की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने अपने फैसले में निर्दिष्ट किया कि दिवाली पर केवल रात आठ से 10 बजे के बीच ही पटाखे चलाए जा सकते हैं।

पीठ ने क्रिसमस और नए साल पर रात 11:55 से 12:30 बजे के बीच पटाखे जलाने की इजाजत दी जबकि पर्यावरण नियमों पर खरा नहीं उतरने वाले पटाखों को जलाने पर प्रतिबंध लगाया है, जो पूरे साल लागू रहेगा। यह शर्त विवाह महोत्सवों पर भी लागू रहेगी।

अदालत ने पटाखों की लड़ियों के निर्माण, बिक्री और प्रयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है और निर्दिष्ट किया कि ई-कॉमर्स वेबसाइट किसी भी तरह से पटाखे नहीं बेचेंगी, इसका ऑनलाइन ऑर्डर नहीं स्वीकारेंगी।

पीठ ने कहा, “अगर कोई ई-कॉमर्स कंपनी ऑनलाइन पटाखे बेचती हुई पाई गई तो इसे अदालत के फैसले की अवमानना समझा जाएगा और अदालत उसके ऊपर आर्थिक दंड भी लगा सकती है।”

अदालत ने कहा कि दिल्ली में अधिकारी ऐसे इलाकों की पहचान करेंगे जहां सामूहिक रूप से पटाखे जलाए जा सकें और यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों को इस बारे में जानकारी हो। अदालत ने अन्य राज्यों से भी सामूहिक रूप से पटाखे जलाने की संभावनाओं को तलाशने को कहा है।

अदालत ने पुलिस थाना प्रभारियों को इस आदेश के अनुपालन को सुनिश्चित करवाने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया है।

पीठ ने पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) से पटाखों के क्लीनिकल संघटकों की समीक्षा करने को कहा है, विशेषकर एल्युमीनियम सामग्री घटाने को लेकर। अदालत ने संगठन से दो सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

पीठ ने पेसो से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि दिवाली, अन्य धार्मिक त्योहारों के साथ-साथ शादी समारोह के दौरान केवल अनुमति प्राप्त रसायन वाले ही पटाखों की बिक्री हो और उन्हें जलाया जाए।

अदालत ने केंद्र, राज्य सरकारों के साथ साथ शिक्षा संस्थानों से पटाखों के हानिकारक प्रभावों के बारे में जन जागरूकता अभियान चलाने को भी कहा है।

पीठ ने केंद्र और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व समितियों से नियामक मानदंडों के अलावा एल्युमीनियम, बेरियम, लौह जैसे मानदंडों की जांच-परख के लिए दिवाली से 14 दिन पहले और इतने ही दिन बाद तक निगरानी रखने को कहा है।

पीठ ने कहा, “इससे पटाखे जलाने से हुए प्रदूषण के आंकड़े जुटाने में मदद मिलेगी और यह पटाखों के निर्माण में प्रयोग होने वाले एल्युमीनियम, बेरियम, लौह की मात्रा को नियंत्रित करने में लाभकारी होगा।”

अदालत ने कहा कि उसने उचित एवं पर्याप्त समाधान मुहैया कराने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीबीसीबी) ने इस फैसले को संतुलित बताया। वहीं, पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध का दबाव बना रहे वकीलों ने कहा कि स्पष्ट व्यावहारिक कारणों से अदालत के आदेश को लागू करना मुश्किल होगा।

 

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