IANS

मप्र में ‘शिवराज से शाह की दूरी’ पर उठे सवाल

भोपाल, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का दो दिवसीय दौरा पार्टी के भीतर हलचल पैदा कर गया है क्योंकि राज्य की राजनीति में संभवता पार्टी अध्यक्ष का पहला ऐसा दौरा रहा होगा जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ शाह ने कोई मंच साझा नहीं किया।

शाह ने भोपाल-होशंगाबाद संभाग के कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में हिस्सा लिया, रीवा, सतना व जबलपुर में सभाएं की, मगर इन चारों प्रमुख कार्यक्रमों के मंच पर शाह के साथ मुख्यमंत्री शिवराज नजर नहीं आए। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर शाह के दौरे के दौरान शिवराज को दूर क्यों रखा गया?

शाह के इस दौरे ने लगभग चार माह पूर्व जंबूरी मैदान में कार्यकर्ता महाकुंभ में दिए उस बयान की याद दिला दी है, जब शाह ने कहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा कार्यकर्ता होगा। तब भी राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई थी कि क्या भाजपा शिवराज से परहेज करने लगी है? अब शाह के साथ शिवराज का मंचों पर नजर न आना उस बयान को ताकत दे रहा है।

राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटैरिया का कहना है, “अमित शाह के साथ शिवराज का न होना राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, ठीक वैसे ही, जैसे राहुल गांधी के मंच पर दिग्विजय सिंह को ज्यादा महत्व न दिया जाना। भाजपा राजनीतिक रणनीति के तहत विकेंद्रीकरण पर चल रही है, कैलाश विजयवर्गीय को मालवा की जवाबदारी, प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह को महाकौशल का जिम्मा। इस बात का संकेत है कि अब स्थायी प्रतीक कोई नहीं होगा, 14 साल मुख्यमंत्री रहे शिवराज भी नहीं।”

पटैरिया आगे कहते हैं कि आगामी चुनाव किसी भी दल के लिए आसान नहीं है। लिहाजा, भाजपा नई रणनीति पर काम कर रही है। आने वाले दिनों में राज्य की चुनावी कमान पूरी तरह पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के हाथ में होगी और वही संचालित करेंगे।

याद रहे कि बिहार विधानसभा चुनाव की कमान भी अमित शाह ने पूरी तरह अपने हाथ में रखी थी। बह्मास्त्र के रूप में ‘भाजपा हारी तो पाकिस्तान में पटाखे फूटेंगे’ वाला बयान देकर मतदाताओं में देशभक्ति का जज्बा पैदा करने का प्रयास किया था, फिर भी सफलता नहीं मिली थी।

भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज की जनआशीर्वाद यात्रा थी, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था, अध्यक्ष शाह ने स्वयं उनसे (मुख्यमंत्री) कहा था कि वे अपनी यात्रा जारी रखें, इसलिए शिवराज जनआशीर्वाद यात्रा में रहे, इसके अलावा अन्य कोई कारण नहीं है।

राजनीति के जानकार इस बात को मानने के लिए कतई तैयार नहीं हैं कि शिवराज सिर्फ जन आशीर्वाद यात्रा के कारण शाह के साथ नहीं रहे। वजह दूसरी भी हैं। शाह ने दो दिनों में कई स्तर पर नेताओं से संवाद किया, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों से भी चर्चा की, शिवराज भी रात के समय उनके साथ चर्चा में शामिल रहे, मगर मंच साझा नहीं किया। सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा को सत्ता के खिलाफ जनाक्रोश का डर सताने लगा है?

 

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close