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इलाहाबाद को ‘प्रयागराज’ कहलवाने का प्रस्ताव उप्र कैबिनेट से मंजूर

लखनऊ, 16 अक्टूबर (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने मंगलवार को इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयागराज’ करने समेत 12 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। लोकभवन में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता व स्वास्थ्य मंत्री डॉ.सिद्धार्थनाथ सिंह ने मीडिया को बताया कि इलाहाबाद अब से प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा।

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद की पौराणिक पहचान के दृष्टिगत जिले का नाम प्रयागराज किए जाने को कैबिनेट की स्वीकृति मिल गई है। नाम परिवर्तन से राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

सिद्धार्थनाथ ने कहा कि जिन संस्थाओं के नाम में इलाहाबाद लगा हुआ है, उनका नाम भी बदल दिया जाएगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद हाईकोर्ट व अन्य संस्थाओं को नाम को बदलने के लिए राज्य सरकार संबंधित संस्थाओं को पत्र लिखेगी।

संत-महंत योगी के मंत्री ने बताया कि प्रदेश में देसी नस्ल की गायों से दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा और दुग्ध उत्पादकों को प्रोत्साहन स्वरूप ‘नंद बाबा पुरस्कार’ दिए जाएंगे। पुरस्कार के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 में 52.01 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है।

सिद्धार्थनाथ ने बताया कि देशी नस्ल की गाय के दूध की प्रत्येक विकास खंड, जिला, प्रदेश में सर्वाधिक आपूर्ति करने वाले दुग्ध उत्पादक को जो वर्ष में दुग्ध उत्पादक संघ को न्यूनतम 1500 लीटर दूध की बिक्री किया हो, उसे क्रमश: 5100 रुपये, 21,000 रुपये व 51,000 रुपये का ‘नंद बाबा पुरस्कार’ मिलेगा।

बैठक में केंद्र की मदद वाली योजना के तहत एटा, फतेहपुर, हरदोई, सिद्धार्थनगर, प्रतापगढ़, गाजीपुर व देवरिया में मेडिकल कॉलेजों के लिए धन स्वीकृत किया गया। एटा के लिए 216.8 करोड़, देवरिया के लिए 201.9 करोड़, फतेपुर के लिए 212.50 करोड़, गाजीपुर के लिए 220.45, हरदोई के लिए, 206.33, प्रतापगढ़ के लिए 213, सिद्धार्थनगर के लिए 245.11 करोड़ का बजट दिया गया है।

इसके अलावा ललितपुर में पाली तहसील के 23 गांवों को सदर तहसील में शामिल किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।

प्रवक्ता ने बताया कि कैबिनेट ने पेराई सत्र 2018-19 के लिए नई खांडसारी लाइसेंसिंग नीति को मंजूरी दी है। नई नीति 1 अप्रैल 2018 से लागू होगी। अब नजदीकी चीनी मिल से 7.5 किलोमीटर की त्रिज्यात्मक दूरी से बाहर की खांडसारी इकाइयों को भी लाइसेंस मिलेगा। पहले ये दूरी 15 किमी थी। गुड़ की इकाइयां लाइसेंस मुक्त होंगी।

प्रदेश के मंत्री सुरेश राणा ने बताया कि नई खंडसारी नीति के तहत 50 घंटे के अंदर लाइसेंस का आवेदन स्वीकृत कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक शुगर मिल से 15 किलोमीटर तक खंडसारी इकाई नहीं लगाई जा सकती थी, अब उसे साढ़े सात किलोमीटर किया गया है।

उन्होंने कहा कि इस बार प्रदेश में पूरे देश का 38 प्रतिशत चीनी उत्पादन हुआ है। खंडसारी उद्योग स्थापित करने पर कोई दूसरा लाइसेंस नहीं लेना होगा। गुड़ को टैक्स फ्री कर दिया गया है, इकाई बंद रहने पर कोई शुल्क नहीं देना पड़ेगा। इससे गन्ना किसानों को सहूलियत मिलेगी।

उन्होंने बताया कि गोरखपुर के हरपुर-गजपुर में बंद पड़ी धुरियापार किसान सहकारी चीनी मिल्स लिमिटेड की 50 एकड़ भूमि का हस्तांतरण इंडियन ऑयल कॉपोर्रेशन लिमिटेड को किए जाने को कैबिनेट की मंजूरी मिली है। भूमि 30 वर्ष की लीज पर दी जा रही है। इसका किराया प्रतिवर्ष एक करोड़ तीस लाख रुपये होगा। यह जमीन लिग्नो सैलिलॉजिक बायोमास आधारित सेकेंड जेनरेशन एथेनॉल प्लांट की स्थापना के लिए दी जाएगी।

 

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