संविधान सम्मान यात्रा प्रथम चरण में छत्तीसगढ़ पहुंची
रायपुर, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)| जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के बैनर तले 26 राज्यों और 65 दिन की संविधान सम्मान यात्रा के प्रथम चरण में बिरसा मुंडा व वीर नारायण सिंह की धरती छत्तीसगढ़ पहुंची। इस यात्रा की शुरुआत 2 अक्टूबर को दांडी, गुजरात से की गई।
यात्रा में शामिल प्रफुल्ल सामंत्रा ने कहा कि महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के बनाए दमनकारी कानून को तोड़ते हुए दांडी से नमक सत्याग्रह शुरू किया। उसी तरह वभिन्न जन आंदोलनों द्वारा संविधान पर हो रहे हमले को रोकने खातिर जनजागृति के लिए संविधान सम्मान अभियान चलाने की जरूरत महसूस हुई और गांधी के जन्म के 150 साल पूरे होने पर दांडी इसकी शुरुआत के लिए प्रासंगिक स्थान था, इसलिए यात्रा की शुरुआत वहीं से की गई।
सुनीति सुर ने कहा कि गुजरात में किसानों, मजदूरों, महिलाओं, विस्थापितों के संघर्ष जारी है। चमकदार गुजरात के काले पन्ने दिखे। राजस्थान में खनन, महिला हिंसा, भीड़तंत्र द्वारा हाशिये पर खड़े लोगों (जिसमें खासकर मुसलमान हैं) की हत्या, आधार कार्ड न होने के कारण भूख से मौतें, पेंशन ना मिलना, मनरेगा में घपले, मानव तस्करी, जैसे मुद्दों पर लोगों से बातचीत करते हुए यात्रा 8 अक्टूबर को बासागुड़ा, मंदसौर पहुंची।
उन्होंने बताया कि पिछले साल मंदसौर में पुलिस की गोली से मारे गए 6 किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए यात्रा अंबोदिया और भीम राव अंबेडकर की जन्मस्थली महू होते हुए पीथमपुर पहुंची, जहां संविधान सम्मान यात्रा में 15 राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने प्रतिभा सिंटेक्स के संघर्षरत मजदूरों के साथ उनकी मांगों का समर्थन करते हुए पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ठेकेदारी प्रथा के समाप्ति की बात मानी।
संविधान सम्मान यात्रा के 9वें दिन नर्मदा घाटी में सूखी नर्मदा किनारे पुनर्वास के लिए संघर्षरत लोग के साथ एकजुटता इंदौर में नागरिक समाज के साथ मध्यप्रदेश में किसान आदिवासी दलित के सवालों पर संघर्ष तेज करने व सांप्रदायिक ताकतों का मजबूती से सामना करने का तय हुआ। चुटका गांव में चुटका परमाणु परियोजना का विरोध करते हुए बरगी बांध विस्थापितों ने दोबारा विस्थापित होने से इनकार किया।
यात्रा में शामिल गौतम बंद्योपाध्याय ने कहा कि मध्यप्रदेश में बिजली की बहुतयात है, तब चुटका परमाणु योजना की क्या जरूरत है। छिंदवाड़ा के धनोरा गांव में माचागोरा बांध से विस्थापितों को मूलभूत सुविधाएं भी सरकार नहीं दे पाई है।
उन्होंेने संविधान पर हो रहे हमलों को लेकर 12 अक्टूबर को नागपुर में तमाम संगठनों ने संविधान की वैचारिक पृष्ठभूमि के संदर्भ में कहा कि संविधान पूरे स्वतंत्रता आंदोलन से उभरे मूल्यों से हुए जन जागरण की विरासत है। इसमें बाबासाहेब आंबेडकर का योगदान अमूल्य है। वर्तमान में भाजपा का सामना करने के लिए एकजुटता का आह्वान किया गया।
बंद्योपाध्याय ने कहा, “पिछले दिनों देशभर में हुई, शहीद शंकर गुहा नियोगी की साथी वकील सुधा भारद्वाज सहित हुई गिरफ्तारियों का हम निषेध करते हैं। आने वाले चुनावों में चुनाव आयोग के साथ लोगों की भी जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष हो कर सांप्रदायिक व पूंजीवादी ताकतों को हराते हुए जन सवालों पर सही भूमिका और कार्य करने वाले लोगों को चुने।”
छत्तीसगढ़ की नई राजधानी से विस्थापित प्रभावितों के संगठन के रूपन चंद्राकर ने सरकार को चेतावनी दी, “हम संघर्ष में पीछे नहीं हटने वाले नहीं।”
आलोक शुक्ला ने छत्तीसगढ़ की बदहाली पर बात रखी। क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच के तोहीन देव ने गीत गाया। सोनाखान क्षेत्र के आदिवासी हितों के लिए संघर्षरत साथी राजीव भाई ने आदिवासियों की परिस्थितियों का बयान किया। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के कलादास भाई ने धन्यवाद देकर सभा का समापन किया।
शुक्ला ने कहा, “हम छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट में मारे गए 13 श्रमिकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और इस घटना की खास करके प्लांट में रखरखाव पर स्वतंत्र जांच की मांग करते हैं।”
उन्होंने कहा कि संविधान सम्मान यात्रा देशभर में छत्तीसगढ़ सहित सभी नागरिकों से यह आवाहन करती है कि हम संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों की संविधान सम्मत रास्ते पर चलकर उसकी रक्षा करें और अपने अधिकारों के लिए सशक्त रूप से आगे बढ़ें।