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दुखद : गंगा के लिए 111 दिन की तपस्या के बाद नहीं रहे ‘गंगापुत्र’, प्रधानमंत्री ने जताया शोक

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रो. जीडी अग्रवाल के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि गंगा के कई मुद्दों के लिए अनशनरत प्रो.जीडी अग्रवाल के निधन से उन्हें गहरा दुख पहुंचा है। उनकी मुख्य मांग थी कि गंगा के लिए अलग से एक्ट बनाया जाए और राज्य में तमाम जलविद्युत परियोजनाओं को रद्द किया जाए।

” हमारी सरकार और केंद्र सरकार लगातार उनसे संपर्क में थी, बातचीत होती थी। केंद्रीय पेयजल मंत्री उमा भारती ने उनसे मुलाकात की थी। उसके बाद जल संसाधन मंत्री नितिन गड़करी ने भी फोन पर प्रोफेसर साहब से बातचीत की थी।” सीएम रावत ने बताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्विटर पर अपना शोक प्रकट किया है –

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से भी इस मुद्दे पर पूरी संवेदनशीलता दिखाई गई थी। सरकार के प्रतिनिधि लगातार उनके संपर्क में थे। हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भी उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे। हमारी कोशिश थी कि किसी तरह से उनकी जान बचाई जा सके। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उन्होंने उनशन तोड़ने से इंकार कर दिया।

जैसे ही उन्होंने 9 अक्टूबर को जल का त्याग किया, उन्हें फौरन ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स के डाक्टरों ने भी उनकी जान बचाने का भरसक प्रयास किया।

” माँ गंगा के सच्चे बेटे प्रो जीडी अग्रवाल नहीं रहे। गंगा को बचाने के लिए उन्होंने स्वयं को मिटा दिया। हिंदुस्तान को गंगा जैसी नदियों ने बनाया है। गंगा को बचाना वास्तव में देश को बचाना है। हम उनको कभी नहीं भूलेंगे। हम उनकी लड़ाई को आगे ले जाएँगे।” कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा।

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