अकाल मौत के गाल में समा गए ‘गंगापुत्र’, सरकार का दावा-मान ली गई थी कुछ मांगे
गंगा नदी के संरक्षण को लेकर 111 दिनों से अनशन कर रहे पर्यावरणविद प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का निधन गुरुवार को हो गया
गंगा नदी के संरक्षण को लेकर पिछले 111 दिनों से अनशन कर रहे पर्यावरणविद प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ ज्ञानस्वरूप सानंद का गुरुवार को निधन हो गया। वे गंगा एक्ट की मांग को लेकर 22 जून 2018 से अनशन पर बैठे थे। ऋषिकेश स्थित एम्स के निदेशक डॉ. रविकांत ने बताया कि स्वामी सानंद ने गुरुवार को यहां संस्थान में अंतिम सांस ली।
साथ ही उन्होंने बताया कि स्वामी सानंद ने अपना शरीर एम्स ऋषिकेश के चिकित्सा शिक्षा के छात्रों के उपयोग के लिए दान कर दिया था। उन्होंने बताया कि स्वामी सानंद को उच्च रक्तचाप, हर्निया के साथ-साथ कोरोनरी आर्टरी रोग भी था और अनशन के कारण उनकी सेहत ज्यादा बिगड़ गई थी।
गंगा की अविरलता के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का अनशन खत्म कराने के लिए पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री उमा भारती उनसे मिलने गई थीं और नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी से उनकी फोन पर बात भी कराई थी। लेकिन प्रोफेसर अग्रवाल ने गंगा एक्ट लागू होने तक अनशन जारी रखने की बात कही थी।
नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि प्रोफेसर अग्रवाल की कुछ मांगें मान ली गईं थीं। सरकार की ओर से आश्वासन लेकर पहुंचे हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक ने उनसे अनशन खत्म करने का अनुरोध भी किया था, लेकिन उन्होंने अनुरोध को ठुकरा दिया था। इस बीच, गंगा संरक्षण को लेकर स्वामी सानंद के प्राण त्यागने के बाद ‘मातृसदन’ के प्रमुख परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने उनके निधन को हत्या करार दिया है और उनकी मौत की उच्च्स्तरीय जांच की मांग की है।