नैनीताल में हिमालयन एकोज शुरू, 23 लेखक जुटे
नैनीताल, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| नैनीताल के एबोट्सफोर्ड में शनिवार को हिमालयन एकोज की शुरुआत हुई। साहित्य समारोह में युवा साहित्यकारों को मंच प्रदान किया जाता है। तीन साल पहले यह फेस्टिवल सात लेखकों से शुरू हुआ था और इस साल 23 लेखक हिस्सा ले रहे हैं। लेखकों और अन्य साहित्य प्रेमियों के अलावा शनिवार को स्कूली बच्चों ने भी इसमें हिस्सा लिया। आयोजकों की तरफ से जारी बयान के अनुसार, पहला सत्र ‘इन द जंगल ऑफ द नाइट : अ नॉवल ऑन जिम कॉर्बेट’ था, जहां स्टीफन ऑल्टर से रूडी सिंह ने चर्चा की। उन्होंने जिम कॉर्बेट पर लिखी अपनी किताब पर चर्चा की। यह किताब कॉर्बेट के जीवन को नए ढंग से सामने रखती है। स्टीफन ने बताया कि यही किताब जिम की सोच के बारे में बात करती है और यह भी सच है कि हम उन्हें उनके लेखन के लिए आज भी याद करते हैं।
दूसरे सत्र में समारोह निदेशक, जाह्न्वी प्रसाद ने जानी-मानी लेखक शोभा डे के साथ चर्चा की। उन्होंने इसे ‘नो फिल्टर थीम’ नाम दिया। अपनी बातचीत के दौरान जाह्न्वी ने शोभा डे से जानना चाहा कि जब भी उन्हें ट्रोल किया जाता है या उन्हें धमकियां मिलती हैं तो वह इन सब चीजों का किस तरह मुकाबला करती हैं। शोभा ने कहा, “डर कर बैठ जाना कोई समाधान नहीं है। आपको मुड़कर जवाब जरूर देना चाहिए। मैंने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ देखा और सुना है और मैंने हर परिस्थिति में फाइट बैक किया, मैं डर कर चुप नहीं बैठ जाती। लड़कियों को मजबूत बनना चाहिए।”
दिन के तीसरे सत्र में अनिश दयाल ने ‘यंगहसबैंड-द लास्ट ग्रेट इम्पीरियल एडवेंचरर’ के लेखक पैट्रिक फ्रेंच के साथ चर्चा की। पैट्रिक ने बताया, “उन्हें यंगहसबैंड पर लिखने की प्रेरणा तिब्बत से ही मिली। इस किताब में यंगहसबैंड के अनुभव और उनके काम का विवरण भी शामिल है, जिससे हमें युद्ध के पीछे के कारण और वजहों की जानकारी मिलती है।”
बयान के अनुसार, भोजनावकाश के बाद के पहले सत्र में टिम सबेस्तियन ने प्योर अर्थ की कविता खोसा और पिओली पर चर्चा की। दूसरे सत्र में सैफ महमूद की किताब ‘द बिलव्ड दिल्ली-अ मुगल सिटी एंड इट्स ग्रेटेस्ट पोएट्स’ पर पुष्पेश पंत ने सैफ के साथ चर्चा की। सैफ ने बताया, “यह किताब दिल्ली के आठ शायरों पर लिखी है, जिसकी प्रस्तावना लिखी है सुहेल हाशमी ने ‘उर्दू है इसका नाम’ शीर्षक से और किताब की शुरुआत उन्होंने गालिब के शेर से की है।”
‘हिमालयन एकोज-कुमाऊं फेस्टिवल ऑफ लिटरेचर एंड आर्ट्स’ के निदेशक जाह्न्वी प्रसाद ने बताया कि इस फेस्टिवल को शुरू करने के पीछे उनका और उनके सहआयोजकों का उद्देश्य केवल उत्तराखंड की संस्कृति, उसके साहित्य को लोगों तक पहुंचाना था, साथ ही यहां के युवाओं को साहित्य जगत से परिचित कराना भी था। यहां आकर वे विश्व के जाने-माने लेखकों से रूबरू हो सकते हैं, उनसे लिखने की प्रेरणा ले सकते हैं।
उन्होंने बताया कि पहली बार सात लेखकों की भागीदारी के साथ शुरू हुए इस साहित्योत्सव में इस साल 23 लेखक हिस्सा ले रहे हैं।