हिमालय मात्र भौगोलिक संरचना ही नहीं, हमारी संस्कृति और जीवन का आधार भी : त्रिवेंद्र सिंह रावत
हिमालयी क्षेत्र के 968 ग्लेशियरों पर ग्लोबल वर्मिंग का बुरा असर
उत्तराखंड मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शिमला में हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं सांसदों के सम्मेलन में कहा कि जलवायु परिवर्तन का हिमालय पर बुरा असर हो रहा है, यह चिंता की बात है, हिमालय का संरक्षण बहुत ज़रूरी है।
संसदीय पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक हिमालयी क्षेत्र के 968 ग्लेशियरों पर ग्लोबल वार्मिग का साफतौर पर प्रतिकूल असर हुआ है। सदानीरा नदियों के अस्तित्व पर संकट आया है। देश की प्यास बुझाने के लिए 65 फीसद पानी हिमालयी नदियों से मिलता है। यही नहीं हिमालय हमारे लिए सुरक्षा कवच का काम भी करता है।
शुक्रवार (पांच अक्टूबर 2018) को सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हिमालयी राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियों एवं समस्याओं पर चिंतन की जरूरत है। हिमालयी राज्य अच्छी तरह से हिमालय की रक्षा और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति अपना दायित्व निभा रहे हैं। हिमालय मात्र भौगोलिक संरचना ही नहीं, हमारी संस्कृति, दर्शन और जीवन यापन को प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अब हिमालयी क्षेत्र में मानवीय दखल के चलते कृषि योग्य भूमि का दायरा लगातार घट रहा है। उत्तराखंड में कृषियोग्य भूमि का क्षेत्रफल 50 फीसद घटकर करीब 7.01 लाख हेक्टेयर रहा गया। पॉलीथीन हिमालयी पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा रहा है। हिमालय के अस्तित्व, जीवंतता, विविधता व नैसर्गिकता को संजोए रखने के लिए सभी की भागीदारी बेहद ज़रूरी है।