‘बायो-जेट ईंधन के इस्तेमाल से खर्च में आएगी 50 फीसदी कमी
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारत में जैव ईंधन (बायो फ्यूल) का उपयोग बढ़ाने से तेल के आयात पर निर्भरता कम होगी, जोकि चालू खाता घाटा कम करने की दिशा में एक कारगर कदम साबित होगा।
यह बात अमेरिकी संस्था ‘यूएस ग्रेन्स काउंसिल’ ने कही है। अमेरिकी संस्था की माने तो बायो-जेट ईंधन के उपयोग से पारंपरिक विमानन ईंधन के मुकाबले खर्च में 50 प्रतिशत की कमी आएगी। यह संस्था के दुनियाभर में जैव ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की दिशा में काम करती है।
यूएस ग्रेन्स काउंसिल के अनुसार, विमानों में बायो-जेट ईंधन का उपयोग करने से हर उड़ान पर पारंपरिक विमानन ईंधन के मुकाबले खर्च में 50 प्रतिशत की कमी आएगी, जिससे हवाई किराया कम होगा।
यूएस ग्रेन्स काउंसिल के मुख्य अर्थशास्त्री माइक ड्वायर ने कहा, भारत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने को लेकर प्रतिबद्ध है और सरकार ने ऑटोमोबाइल ईंधन में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने को कहा है। इस मिश्रण से वायु प्रदूषण कम करने की सरकार की प्रतिबद्धता पूरी होगी
उन्होंने कहा, हम भारत के इस कदम का समर्थन करते हैं क्योंकि उच्च ऑक्टेन मिश्रित ईंधन के रूप में इसमें परिवहन ईंधन में उपयोग किए जाने वाले गैसोलीन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने की जबरदस्त क्षमता है।
ग्रेन्स काउंसिल के अनुसार, इस कदम से तेल आयात पर भारत की निर्भरता में कमी आएगी। है।
उन्होंने कहा, भारत सरकार इथेनॉल मिश्रण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जता चुकी है, इसलिए इस क्षेत्र में निवेश किया जाएगा। देश में रिफाइनिंग क्षमता बढ़ने से घरेलू आपूर्ति को इंटरमिडियरी प्रोडक्ट के आयात द्वारा सप्लीमेंट किया जा सकता है जिसे देश में प्रोसेस कर ईंधन लागत की बचत को बढ़ाया जा सकता है।
संस्था ने कहा कि जैव-ईंधन को बढ़ावा देना तेल के आयात बिल को कम करने का सबसे व्यावहारिक विकल्प है।