अयान के सरोदवादन व शिवानी के कथक ने बांधा समां
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)| रजा फाउंडेशन की ओर से गुरु-शिष्य परंपरा पर एकाग्र समारोह ‘उत्तराधिकार’ में उस्ताद अमजद अली खान के शिष्य व पुत्र अयान अली बंगश के सरोदवादन और गुरु शोभना नारायण की शिष्या शिवानी वर्मा के कथक नृत्य ने समां बांधा।
इंटरनेशनल सेंटर के सी.डी. देशमुख सभागार में बुधवार की शाम आयोजित समारोह का औपचारिक शुभारंभ करते हुए रजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी व प्रसिद्ध कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि ‘उत्तराधिकार’ भारतीय शास्त्रीय परंपरा के शिष्यों का समारोह है। इसका मुख्य उद्देश्य शास्त्रीय कलाओं में गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व और जरूरत का रेखांकन है। रजा फाउंडेशन हर साल इस परंपरा पर एकाग्र दो वार्षिक समारोह करता है : उत्तराधिकार और महिमा। महिमा का आयोजन अगले साल जनवरी में होगा, जिसमें वरिष्ठ शास्त्रीय कलाकार अपने गुरुओं से प्राप्त सीख और विरासत प्रस्तुत करेंगे।
कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति चर्चित सरोदवादक अयान अली बंगश ने दी। अयान सेनिया बंगश परंपरा के सातवीं पीढ़ी से संबद्ध हैं। उन्होंने अपनी पहली एकल प्रस्तुति आठ वर्ष की उम्र में दी थी। तब से लेकर आज तक वे कई एकल प्रस्तुतियां और अपने पिता जी के साथ युगल प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
अयान ने अपनी पहली प्रस्तुति राग ललिता गौरी में दी। सबसे पहले उन्होंने अलाप, जोड़ और झाला से राग का स्वरूप खड़ा किया, जो चौताल और द्रुत तीन ताल में निबद्ध था। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का समापन राग गौड़ मल्हार से किया। तबले पर संगत बनारस घराने के शुभ महाराज की। शुभ महाराज प्रसिद्ध तबला वादक पद्मविभूषण पंडित किशन महाराज के नाती और चर्चित कथक नर्तक पंडित विजय शंकर के पुत्र हैं।
अगली प्रस्तुति थी गुरु शोभना नारायण की शिष्या शिवानी वर्मा का कथक नृत्य। पेशे से वकील होते हुए भी नृत्य-प्रेम ने शिवानी को कथक की ओर खींच लाया। उन्होंने सबसे पहले गुरु मनीष गंगानी और बाद में गुरु तीरथ अजमानी से कथक की शिक्षा प्राप्त की। बाद में पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज, शोभना नारायण, शाश्वती सेन, सरोजा वैद्यनाथन से कथक के गुर सीखे।
शिवानी वर्मा की यह प्रस्तुति ‘लीला’ पर केंद्रित थी। जीवन से लेकर मृत्यु तक का समस्त जगत व्यवहार लीला के केंद्र में है। जीवन अनवरत चलते रहने का नाम है। उन्होंने लीला का आरंभ कामदेव के आवाहन एवं वंदना से किया। यह प्रस्तुति तीन ताल में निबद्ध थी। संगीत नाटक अकादमी सम्मान से सम्मानित चर्चित गायक और संगीतकार पंडित ज्वाला प्रसाद ने गायन एवं हारमोनियम पर साथ दिया। तबले पर योगेश गंगानी ने और पखावज व बोल पढ़ंत पर महावीर गंगानी जी ने साथ दिया।
रजा फाउंडेशन का अगला कार्यक्रम 4 अक्टूबर को हुआ, जिसमें कला-प्रेमियों ने सावनी मुद्गल का गायन एवं हिमांशु श्रीवास्तव का भरतनाट्यम का आनंद लिया।