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उत्तराखंड में लंबित परियोजनाओं पर फैसला लेंगे पीएम मोदी

उत्तराखंड में अलकनंदा और भागीरथी नदी घाटी में 70 जलविद्युत परियोजनाओं में 19 ही परिचालित हैं

उत्तराखंड में पर्यावरणीय रुकावटों के कारण बंद की गईं 24 जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण दोबारा शुरू होना मुमकिन नहीं है। राज्य हित से जुड़ी जलविद्युत परियोजनाओं के मामले को अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखा जाएगा।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को नई दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय जल संसाधन विकास मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर राज्य की लंबित जलविद्युत परियोजनाओं पर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की बात की है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्रीय जल संसाधन विकास मंत्री नितिन गडकरी के साथ लंबित जलविद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में आयोजित बैठक में राज्य का पक्ष रखा। बैठक में सीएम रावत ने कहा कि राज्य में जलविद्युत उत्पादन क्षमता 25 हज़ार मेगावाट है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण व सतत विकास के लिहाज से लगभग 17 हजार मेगावाट विद्युत क्षमता का आकलन किया गया है। मौजूदा समय में केवल चार हजार मेगावाट क्षमता का ही दोहन हो सका है।

उत्तराखंड में अलकनंदा और भागीरथी नदी घाटी में 70 जलविद्युत परियोजनाओं में 19 ही परिचालित हैं। पर्यावरणीय कारणों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते करीब 4000 मेगावाट की 33 जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण कार्य बाधित हैं।

”राज्य में बिजली की मांग सालाना करीब 13 हजार मिलियन यूनिट है। इसमें हर वर्ष पांच से आठ फीसद की दर से वृद्धि हो रही है। इस मांग का 35 फीसद यूजेवीएनएल पूरा करता है। 40 फीसद केंद्रीय पूल और शेष 25 फीसद निजी स्रोतों से खरीदी जा रही है।” मुख्यमंत्री ने आगे कहा।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में 10 जलविद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन की संस्तुति की गई है। इन पर केंद्र सरकार ने भी सहमति दी है। समिति ने 24 परियोजनाओं की 2676 मेगावाट क्षमता का क्रियान्वयन न किए जाने की संस्तुति की है।

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