सिद्धू चंडीगढ़ पर केंद्रीय अधिसूचना के खिलाफ
चंडीगढ़, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के उस कदम का विरोध किया है, जिसमें चंडीगढ़ प्रशासन के विभिन्न पदों को दानिप्स (दिल्ली, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह पुलिस सेवा) काडर के तहत लाने का प्रस्ताव है।
उन्होंने कहा कि यह कदम पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की भावना के खिलाफ है। सिद्धू ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को मंगलवार को लिखे एक पत्र में कहा, मैं आपको हाल के कुछ घटनाक्रमों के बारे में अपनी गहरी नाराजगी से अवगत करा रहा हूं, जो पंजाब राज्य को काफी प्रभावित करते हैं और इसलिए ये न केवल राज्य के एक मंत्री के रूप में मुझे परेशान करते हैं, बल्कि एक पंजाबी के नाते भी।
सिद्धू ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से 25 सितंबर को जारी एक अधिसूचना का बिंदुवार विरोध किया है, जिसके तहत केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ प्रशासन के विभिन्न पदों को दानिप्स काडर के अधीन ला दिया है। इसमें पुलिस उपाधीक्षक का पद भी शामिल है।
इसका मतलब यह होगा कि चंडीगढ़ में (चंडीगढ़ पुलिस काडर के तहत) कार्यरत पुलिस अधिकारियों को दिल्ली और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह स्थानांतरित किया जा सकता है।
सिद्धू ने कहा, इस अधिसूचना ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के उद्देश्य और राजीव-लोंगोवाल समझौते को बेमानी बना दिया है।
सिद्धू ने कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के जरिए पहले के पंजाब राज्य को बांटकर एक नए राज्य हरियाणा और केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ का गठन किया गया था।
सिद्धू ने कहा है, इस पुनर्गठन अधिनिय में यह भी प्रावधान किया गया था कि निर्धारित तिथि यानी पहली नवंबर, 1966 से सभी संपत्तियों और देनदारियों को पंजाब और हरियाणा में 60:40 के अनुपात में बांटा जाना था।
उन्होंने कहा, इस अनुपात का मुस्तैदी से पालन किया गया है..यहां तक कि केंद्र शासित चंडीगढ़ के लिए पंजाब और हरियाणा से अधिकारियों के आवंटन के उद्देश्य में भी।
गृहमंत्री से इस अधिसूचना पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए सिद्धू ने कहा है कि पंजाबियों में यह एक जायज चिंता है कि इस तरह की और अधिसूचनाएं जारी कर पंजाबी अधिकारियों से सभी काडर छीन लिए जाएंगे और इस तरह उनकी जायज अपेक्षाओं को निराशा हाथ लगेगी।