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आरबीआई के एक फैसले से 5000 देसी सुरक्षा एजेंसियां प्रभावित : कापसी

नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)| निजी सुरक्षा एजेंसियों का संगठन सेंट्रल एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्री (कापसी) ने सोमवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक फैसले से देशभर की घरेलू निजी सिक्योरिटी एजेंसियों के कारोबार पर असर पड़ा है। कापसी के अध्यक्ष कुंवर विक्रम सिंह ने यहां एक प्रेसवार्ता में बताया कि बैंक एवं एटीएम में नकदी वितरण करने में बड़ी कंपनियों को ही शामिल करने के फैसले से 5,000 देसी सुरक्षा एजेंसियों का कारोबार ठप हो गया है।

उन्होंने कहा कि इन एजेंसियों में देश के सेवानिवृत सैनिक हैं जिनकी गाढ़ी कमाई से अर्जित धन से जुटाई गई पूंजी बेकार हो गई है, क्योंकि अब उनके कैश वैन व अन्य लॉजिस्टिक्स का इस्तेमाल बैंक अपने कैश मैनेजमेंट में नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि आरबीआई के नए सर्कलुर में बैंकों को कैश मैनेजमेंट उन्हीं कंपनियों को शामिल करने को कहा गया है जिनका नेटवर्थ 100 करोड़ रुपये है। सिंह ने कहा कि इससे सिर्फ दो ही कंपनियों के हाथ में यह पूरा कैश मैनेजमेंट का कारोबार चला गया है।

आरबीआई के सर्कुलर में एक और मानक स्थापित किया गया कि कंपनी के बेड़े में विशेष तौर पर तैयार 300 कैश वैन हों।

उन्होंने कहा कि छोटी सुरक्षा एजेंसियां इन शर्तो को पूरा नहीं कर पाती हैं, इसलिए उनको कैश मैनेजमेंट का काम नहीं मिलेगा।

विक्रम सिंह ने कहा, ये सुरक्षा एजेंसियां पिछले 20 साल से भी अधिक समय से बैंकों और एटीएम को कैश सप्लाई का कार्य कर रही हैं। मगर आरबीआई के एक फैसले की वजह से हजारों पूर्व सैनिक अपना कारोबार गंवा चुके हैं और बदहाली के शिकार हो गए हैं।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी के समय इन पूर्व सैनिकों ने अपनी मुस्तैदी दिखाई थी और देश के दूरदराज के इलाकों के एटीएम व बैंकों में नकदी पहुंचाई थी। अब पूर्व सैनिकों से छीन कर कैश मैनेजमेंट का काम विदेशी कंपनियों को सौंपा जा रहा है जो चिंता की बात है।

उन्होंने बताया कि वह पहले ही प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और वित्तमंत्री से मिलकर इस मामले में दखल देने का अनुरोध कर चुके हैं। उन्होंने कहा, हमने उनसे आग्रह किया है कि वे वस्तु-स्थिति की जांच व समीक्षा कर रिजर्व बैंक को इस मनमाने आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का आदेश दें।

सिंह ने बताया, कुछ सप्ताह पहले हमने इस मसले को लेकर तत्कालीन प्रभारी वित्तमंत्री पीयूष गोयल से भी मुलाकात की थी। उन्होंने हमें आश्वस्त किया था कि वह इस गंभीर मुद्दे पर विचार करेंगे।

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