InternationalCoffeeDay : एक घूंट कॉफी दिलाएगी कैंसर से निजात
International Coffee Day पर करें कॉफी का सेवन, दूर होंगी कई बीमारियां
आज 1 अक्टूबर दुनियाभर में International Coffee Day के रूप में मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं कॉफी से जुड़ी कई बातें। दुनियाभर में लोग सुबह होते ही कॉफी की डिमांड करते हैं। कॉफी की खासियत है कि जब भी तनाव होता है, इंसान इसकी तरफ ही अग्रसर होता है। जब भी कोई लड़का या लड़की अपनी पहली मुलाकाल करते हैं, तो कॉफी के जरिए ही अपने रिश्ते की शुरुवात करते हैं। इतना ही नहीं पुराने दोस्तों के मिलने पर, ऑफिस की पार्टी सब बिना कॉफी के बिना अधूरा है। रोज कॉफी का सेवन करने से दिमाग, दिल, लिवर जैसे शरीर के सभी अंग चुस्तो-दुरुस्त रहते हैं।
कॉफी पीने के फायदे-
मोटापा घटाए-
कॉफी में कैफ़ीन पाया जाता है, जो प्राकृतिक रूप से मोटापा कम करने में मदद करता है। कॉफी में चर्बी जलाने की काफी क्षमता है| यह मोटे लोगों की 10 प्रतिशत और पतले लोगों की 29 प्रतिशत तक चर्बी को जला सकता है, लेकिन ध्यान रहे इसका ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए।
क्षमता बढ़ाए-
कॉफी में पाया जाने वाला कैफीन, हमारे रक्त के माध्यम से दिमाग में पहुंचकर उसकी क्षमता को बढ़ा देता है। साथ ही कॉफी पीने से याददाश्त बढ़ती है और मूड अच्छा हो जाता है।
मधुमेह की आशंका कम-
टाइप 2 मधुमेह भी समस्या है। कई शोध में पता चला है कि प्रतिदिन एक कप कॉफी पीने से टाइप-2 मधुमेह होने की संभावना 30% तक कम हो जाती है।
कैंसर से बचाव-
कॉफी के सेवन से लिवर कैंसर और कोलेरेक्टल कैंसर दोनों से बचा जा सकता है। रिसर्च से यह बात सामने आई है कि कॉफी पीने वाले लोगों में लिवर कैंसर होने की आशंका 40% और कोलोरेक्टल कैंसर की आशंका 14% तक कम हो जाती है।
इंटरनेशनल कॉफी डे का इतिहास-
काफी के इतिहास की दो कहानियां प्रचलित हैं। पहली कहानी के अनुसार अबू अल हसन इथियोपिया के दौरे पर थे। उनकी नज़र कॉफी के पेड़ पर बैठे एक परिंदे पर पड़ी। उन्होंने देखा कि बीज खाने के बाद पक्षी का बर्ताव बदल गया। हसन ने भी उन बीज का सेवन किया, जिसके कुछ देर बाद हसन तरोताज़ा महसूस करने लगे। कुछ किताबों में लिखा है कि कुछ न मिलने पर अबू अल हसन ने कॉफी के बीज को पानी में उबालकर पीया था। इस तरह कॉफी इथियोपिया में मशहूर हुई। फिर इसका निर्यात यमन ने किया। यमन व्यापारियों ने अपने देश में कॉफी की खेती शुरू की और उसे पानी में उबालकर पीना का चलन प्रचलित हुआ।
कहा जाता है, अरब में इस शब्द का इस्तेमाल शराब के लिए किया जाता है। इस तरह कॉफी हर जगह प्रचलित होती गई और 19वीं शताब्दी में यूरोप पहुंची। कॉफी भारत में काफी दिलचस्प तरीके से आई। दरअसल, कॉफी के हरे बीजों को अरब से बाहर ले जाना गैरकानूनी माना जाता था, लेकिन इस्लाम में सात अंक को मुबारक माना जाता है इसलिए भारतीय मुस्लिम संत बाबा बुदान जब मक्का से लौट रहे थे, तब अपनी कमर पर बांधकर कॉफी के सात बीज यमन से भारत ले आए थे।