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जानिए कैसे झाबुआ की महिलाओं की आंखों में ‘पानी’ ने लाई चमक

मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिले झाबुआ की बात होते ही कमजोर, दुर्बल, कम उम्र के बावजूद गोदी में बच्चा, दीन हीन, समाज की सताई नारी की तस्वीर उभरती है, मगर थांदला विकासखंड के गोपालपुरा की आदिवासी महिलााओं की आंखों में उमंग, उत्साह, खुशी की चमक को आसानी से पढ़ा जा सकता है। यह चमक उनकी आंखों में ‘पानी’ ने लाई है। वे महिलाएं अपने से लेकर नई पीढ़ी के जीवन में बदलाव के सपने संजोने लगी हैं।

राजधानी से लगभग 375 और इंदौर से 200 किलोमीटर दूर बसे गोपालपुरा तक पहुंचने के लिए आपको हर तरह की सड़कों से होकर गुजरना पड़ेगा, मगर गांव तक सड़क है। गोपालपुरा गांव में पहुंचकर महिलाओं के चेहरे पर चमक साफ नजर आती है, वे दुनिया की चिंताओं से बेफिक्र हैं, तो अपने परिवार के जीवन को संवारने में लगी हैं।

गोपालपुरा के चेकडैम के बन जाने के बाद काफी दूर तक पानी की हिलोरें बरस मन केा लुभा देती है। वनीता बाई कहती हैं कि सुकेन नदी में हर साल बारिश का पानी आता था, मगर वह बह जाता था। उसे रोकने का कोई इंतजाम नहीं था। इसी का नतीजा था कि मई-जून के माह में उन्हें नदी के निचले हिस्से में गड्ढा कर पानी निकालना पड़ता था। इसमें हर रोज उनके तीन से चार घंटे खर्च हो जाया करते थे।

वनीता बताती है,” चेकडैम बन जाने से अब उनके लिए पानी की कोई समस्या नहीं रही है, साथ ही पानी की तलाश में जो रोज तीन से चार घंटे खराब हो जाते थे, वे अब बचने लगे हैं, जिसका उपयोग वे अपने परिवार के साथ खेती में हाथ बटाने में करने लगी हैं। साथ ही बच्चों की भी देखभाल आसान हो गई है।”

यह चेकडैम आनंदना, कोका कोला इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से एनएम सद्गुरु वाटर एवं डेवलपमंट फाउंडेशन ने बनाया है। सद्गुरु फाउंडेशन की डिप्टी डायरेक्टर (उप-संचालक) सुनीता चौधरी ने बताया कि कोका कोला इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से 23 नए चेकडैम का निर्माण किया गया है, वहीं छह का पुर्नरुद्धार किया गया है। इन 29 चेकडैम से कुल 15 गांव के लोगों को लाभ हुआ है। पानी की उपलब्धता के चलते लगभग 1900 महिलाओं और 3000 बच्चों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है।

चौधरी के मुताबिक इन 29 चेकडैम पर लगभग चार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इससे इन गांव के लोगों की जिंदगी में बदलाव आने लगा है। एक तरफ जहां रबी और खरीफ की फसल पैदा होने लगी है, वहीं गर्मी के दिनों में पानी के संकट से दो-चार नहीं होना पड़ता। इसका सबसे ज्यादा लाभ महिलाओं और बच्चों की जीवनशैली पर पड़ा है।

गोपालपुरा की महिलाएं बताती हैं कि पानी की उपलब्धता ने उन्हें रोजगार की तलाश में पलायन करने से रोका तो है ही, साथ में कई अन्य दिक्कतों से निजात दिलाई है। पानी ने उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव ला दिया है, जिसकी उन्हें उम्मीद ही नहीं थी।

( इनपुट- IANS/ एडिट- लाइव उत्तराखंड डेस्क)  

 

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