Main Slideउत्तराखंडजीवनशैलीप्रदेशव्यापार

ग्रोथ सेन्टर की मदद से मिलेगी उत्तराखंड में ग्रामीण आर्थिकी को मजबूती

पलायन पर लगाम लगाकर, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए मौके पैदा करेंगे ग्रोथ सेन्टर

उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में क्षेत्र विशेष की चिन्हित आर्थिक गतिविधियों, स्थानीय उत्पादों व सेवाओं को देश विदेश में पहचान दिलाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार के मौके पैदा करने के लिए ग्रोथ सेन्टर योजना शुरू की गई है। इस संबंध में शासन ने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।

ग्रोथ सेन्टरों की स्थापना के संबंध में मुख्यमत्री त्रिवेंद्र सिंह ने कहा,” इससे ग्रामीण आर्थिकी को मजबूती मिलने के साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इससे पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन को रोकने में भी मदद मिलेगी। इससे स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा। परम्परागत खेती और बंजर हो रहे खेतों को आबाद करने में भी मदद मिलेगी।”

इस संबंध में जारी निर्देशों में साफ किया गया है कि राज्य में कई प्रकार के कृषि, उद्यान और पादप, पुष्प आदि का उत्पादन किया जाता है। कई क्षेत्रों में विशिष्ट उत्पाद उपलब्ध होते हुए भी इनका व्यवसायिक उत्पादन और गुणवत्ता का मानकीकरण न होने के कारण इन उत्पादों के विपणन की संगठित व्यवस्था वृहद स्तर पर नहीं बन पाई है। इन उत्पादों के स्थानीय स्तर पर मूल्य संवर्द्धन और प्रसंस्करण कर उत्पादों को बेहतर आय के साथ-साथ व्यापक स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित हो सकते हैं।

स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्चेमाल पर आधारित उद्यमों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए सुदृढ़ एवं संगठित बैकवर्ड लिंकेज विकसित करना भी आवश्यक है। भारत सरकार के कई मंत्रालयों, अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं और संगठनों की भी अनेक परियोजनाएं राज्य में चल रही हैं।

इस योजना में विभाग आवश्यकतानुसार निजी निवेश/निवेशक को आमंत्रित कर सकते हैं। अगर फारवर्ड व बैकवर्ड लिंकेज के लिए निजी निवेश/निवेशक को आमंत्रित किया जाता है, तो उन्हें भी एमएसएमई नीति के अधीन श्रेणी-ए के जनपदों के लिए निर्धारित अधिकतम वित्तीय प्रोत्साहन कुल परियोजना लागत का 40 प्रतिशत, अधिकतम रूपए 40 लाख तक निवेश प्रोत्साहन सहायता चिन्ह्ति ग्रोथ सेन्टर में शामिल होगी।

ग्रोथ सेंटर योजना के संचालन के लिए राज्य स्तर पर गठित समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे, जिसकी अपर मुख्य सचिव के अलावा वित्त, नियोजन, आयुष, आईटी, कृषि, उद्यान, पर्यटन, पशुपालन व सहकारिता के सचिव सदस्य होंगे। जबकि जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति में अग्रणी बैंक अधिकारी के साथ मुख्य विकास अधिकारी व कृषि, उद्यान, पर्यटन और उद्योग के अधिकारी सदस्य होंगे।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close