IANS

निजी कंपनियों के मौजूद आधार डेटा नष्ट करना कठिन कार्य : विशेषज्ञ

नई दिल्ली, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| ‘आधार’ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को भारतीय नागरिकों के लिए नई राहत बताते हुए विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि निजी कंपनियों के पास पड़े आधार डेटा की सुरक्षा के लिए नई व्यवस्था दी गई है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि निजी कंपनियां या लोग ग्राहक सेवा प्रदान करने के लिए आधार डेटा नहीं प्राप्त कर सकती हैं। अदालत ने आधार अधिनियम की धारा 57 को निरस्त कर दिया है, जो निजी कंपनियों को डेटा साझा करने की अनुमति प्रदान करती है।

इसका मतलब यह है कि दूरसंचार कंपनियां, ई-कॉमर्स कंपनियां और निजी बैंक अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए ग्राहकों से बायोमीट्रिक व अन्य डेटा नहीं मांग सकते हैं।

देश में साइबर कानून के जानकारों में अग्रगण्य पवन दुग्गल ने कहा, आधार पर आए फैसले से नागरिकों को बड़ी राहत मिली है। अब बड़ा काम यह सुनिश्चित करना है कि जिनी कंपनियों के पास पहले से जो डेटा है, उसका दुरुपयोग नहीं हो या उसे बेचा न जाए।

डेटा नष्ट करने की आवश्यकता है, लेकिन अब दायित्व यह सुनिश्चित करने का है कि कंपनियां डेटा की प्रति तैयार न करें और अपने कार्य संचालन के लिए इससे पैसे न कमाएं। बड़ा सवाल यह है कि कौन-सी एजेंसी इस बड़े कार्य का परीक्षण करेगी।

दुग्गल सर्वोच्च न्यायालय के भी प्रतिष्ठित वकील हैं।

उन्होंने कहा, निजी कंपनियों ने आधार डेटा संगठित करने का बड़ा दांव खेला है, जिसमें उन्होंने काफी पैसे लगाए हैं। अब पूरी कवायद बेकार हो गई है। देश में अब नया आधार इकोसिस्टम की जरूरत है।

लॉ फर्म खेतान एंड कंपनी के एसोसिएट पार्टनर सुप्रतिम चक्रवर्ती ने कहा कि निजी कंपनियां व्यक्तिगत डेटा में दखल नहीं दे सकती हैं, इस आदेश में दो बाते हैं।

चक्रवर्ती ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, सामाजिक और व्यक्तिगत नजरिए से देखें तो निजी कंपनी जिस प्रकार आपकी सूचनाओं का उपयोग कर रही है, उससे आपको उचित सुरक्षा मिलनी चाहिए।

उन्होंने कहा, हालांकि व्यवसाय के नजरिए से देखें तो अगर उसे बहुत ज्यादा सूचना इकट्ठा करने की जरूरत होगी तो उसका खर्च बढ़ेगा। इससे हमें यह सोचने पर बाध्य करता है कि उपयोगकर्ता की निजता की रक्षा करते हुए व्यवसाय करने का सही तरीका क्या है।

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