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एनएमसी अध्यादेश के खिलाफ संघर्ष जारी रखेगा : आईएमए

नई दिल्ली, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने राष्ट्रीय शिक्षा परिषद (एनएमसी) विधेयक को गरीब विरोधी और देश के संघीय ढांचे के खिलाफ बताते हुए इसे अध्यादेश के जरिए लाए जाने के सरकार के कदम की निंदा की है।

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़कर ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा है, सरकार ने पूरी चिकित्सा बिरादरी के विरोध को अनदेखा करते हुए यह अध्यादेश जारी किया है और ऐसा किया जाना लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर हमला है। यही नहीं सरकार ने ऐसे विवादास्पद विधेयक के मामले में संसद की अवहेलना की।

उन्होंने कहा कि देश के 300 से अधिक निजी मेडिकल कॉलेजों में 40 प्रतिशत प्रबंधन कोटा जैसे जनहित के मुख्य मुद्दे हैं और समाज के सभी वर्गो को इसका विरोध करना चाहिए।

उन्होंने कहा है, चिकित्सा शिक्षा को शक्तिशाली निजी मेडिकल कालेजों की लॉबी के हाथों पूरी तरह बेचने के इस कदम का आईएमए पूरी शक्ति के साथ विरोध करेगा। आईएमए का यह भी मानना है कि इस अध्यादेश के जरिए न केवल राज्य सरकारों, राज्य मेडिकल परिषदों और विश्वविद्यालयों की अनदेखी की गई है, बल्कि प्रत्येक चिकित्सक के मतदान के अधिकार को भी छीन लिया गया है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि सरकार ने किस तरह से देश के चिकित्सकों की सहमति के बिना ही चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा पेशे को प्रतिबंधित करने का विचार किया।

बयान के अनुसार, आईएमए ने 28 सितम्बर, 2018 को मुंबई में सभी राज्यों के आईएमए के अध्यक्षों एवं सचिवों की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की कार्रवाई की दशा-दिशा तय की जाएगी। सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सरकार के साथ पूर्ण असहयोग किया जा रहा है।

बयान में कहा गया है, आईएमए अध्यादेश के जरिए एमएमसी को लागू करने के फैसले के लिए सरकार ने चिकित्सकों की आवाज के साथ-साथ संसदीय समिति की राय की अनदेखी करके अपनी असंवेदनशीलता का परिचय दिया है, जिसकी आईएमए निंदा करता है। आईएमए सरकार को चेतावनी देता है कि प्रबंधन समर्थक और गरीब विरोधी एनएमसी अध्यादेश का जोरदार विरोध किया जाएगा और इस मामले को जनता की अदालत में ले जाया जाएगा।

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