विश्वास के लिए बहुत सुंदर चीज है धर्म : शान सुहास कुमार
गुरुग्राम, 24 सितंबर (आईएएनएस)| भारत का मिस अर्थ-2017 प्रतियोगिता में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रतिनिधित्व कर चुकीं और पर्यावरण व सामाज कल्याण के लिए कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ काम कर चुकीं मिस इंडिया अर्थ-2017 शान सुहास कुमार का मानना है कि धर्म जोड़ने के लिए बना है न कि तोड़ने के लिए और विश्वास व भरोसा बनाए रखने के लिए धर्म एक बहुत सुंदर चीज है।
भोपाल की रहने वाली शान का हमेशा से सौंदर्य प्रतियोगिता का हिस्सा बनने और कुछ बड़ा करने का सपना देखा करती थीं। आखिरकार ‘मिस इंडिया अर्थ-2017’ का ताज सिर पर सजने से उनका यह सपना सच हो गया।
हाल ही में गुरुग्राम में आयोजित ग्लैमआनंद सुपर मॉडल इंडिया-2018 में शिरकत करने आई शान ने आईएएनएस से कहा, मुझे शुरू से पेजेंट्स में जाना था, मेरे फैमिली बैकग्राउंड में सब सर्विस क्लास के लोग हैं, लेकिन शुरू से मैं मिस इंडिया देख के बड़ी हुई हूं और इंडिया से इतने सारे विनर्स रहे हैं, खासकर 1990 के दशक में तो हमेशा से पेजेंट के लिए जाने का मन था और पुणे में इसके लिए ट्रेनिंग ली और फिर मैंने ऑडिशन दिया और ये मुझे मेरे बैकग्राउंड की वजह से मिला।
उन्होंने कहा, मैंने सोशल डिवेलपमेंट में काम किया है। पांच साल सोशल डिवेलपमेंट एन्वायरमेंट के फील्ड में काम किया है, तो मेरे हिसाब से मुझे सबसे उपयुक्त पेजेंट मिस अर्थ लगा तो उसमें मैंने कंपीट किया और मैंने ऑडिशन दिया और पूरा प्रोसेस होने के बाद मैंने पिछले साल भारत का प्रतिनिधित्व किया।
शान ने बताया कि उन्हें हमेशा से परिवार का सहयोग मिला है। उन्होंेने कहा, परिवार का बहुत ज्यादा सपोर्ट रहा है, मैं इस मामले में खुशकिस्मत हूं कि मैं एक ऐसे परिवार से आती हूं जहां मेरे माता-पिता समझते हैं कि कोई भी ऐसी चीज नहीं रहनी चाहिए कि आप पीछे मुड़ कर देखें और बोले कि हां ये रह गया ये नहीं कर पाई तो जब मैंने उनको बोला कि मुझे पेजेंट में जाना है तो उन्होंने मुझे बस यही सलाह दी कि सेफ रहना, लेकिन अच्छे से अपना 100 फीसदी देना।
शान के लिए धर्म विश्वास और भरोसा बनाए रखने के लिए एक बेहद सुंदर चीज है। उन्होंने आईएएनएस से कहा, धर्म एक तरह से लोगों का फेथ रखता है, विश्वास कायम रखने के लिए धर्म बहुत सुंदर चीज है, लेकिन जिस तरह से लोगों को तोड़ने के लिए और लड़ाइयां कराने के लिए इसका इस्तेमाल होता है उसका इस्तेमाल होता है, वह बंद होना चहिए।
उन्होंने कहा, मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आता कि हम ये क्यों कर रहे हैं, क्योंकि धर्म इसलिए बना था ताकि हम लोगों को जोड़ सकें तोड़ने की बात थी ही नहीं। हमें समझना चहिए कि सबका अपना अपना फेथ है और किसी को भी फोर्स नहीं करना चहिए, क्योंकि हमारे संविधान में लिखा है कि आप अपने धर्म का अनुसरण करने के लिए स्वंतत्र है तो इसके ऊपर लड़ाई करना बंद होना चहिए।
यह पूछे जाने पर कि फिलहाल वह पर्यावरण के क्षेत्र में क्या काम कर रही हैं तो उन्होंने कहा, मेरा बैकग्राउंड ही पूरा सोशल डिवेलपमेंट का था तो अभी तक पिछले पांच साल में मैं कम से कम 10 ऑर्गनाइजेशन के साथ काम कर चुकी हूं। इसमें कई अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी हैं। क्लाइमेट चेंज, प्लास्टिक पॉल्यूशन जैसे मुद्दे को लेकर मैं बेहद संजीदा हूं तो अपनी जीवनशैली में भी मैंने बदलाव लाया है जैसे कि मैं बैंबू का टूथब्रश इस्तेमाल करती हूं प्लास्टिक का नहीं।
शान ने कहा, स्ट्रॉ का इस्तेमाल करना मैंने अब बंद करना बंद कर दिया है। हमेशा क्लॉथ बैग इस्तेमाल करती हूं, लेकिन मैं यह भी चाहती हूं कि बाकी लोग भी इस संदेश को समझे और बहुत ज्यादा फॉलो करें और ये एक आसान सा चेंज हैं जो हम अभी भी कर सकते हैं।
फिल्मों में आने के बारे में पूछे जाने पर शान ने कहा, मेरा फिल्मों में आने का कोई इरादा नहीं है। मैं जब पेजेंट्स में आई थी तो यही सोच कर आई थी कि मुझे एक बड़ा प्लेटफॉर्म मिलेगा और ज्यादातर लड़कियां पेजेंट्स में 18-19 की उम्र में आती हैं, मैं 23 में आई थी और अब मैं 27 साल की हूं तो मैंने काफी लेट शुरू किया और ये मैंने अपनी कॉलेज डिग्री और चार साल काम करने के बाद शुरू किया, तो मेरा पहले से एक बेस बन चुका था और मैं एक एनजीओ ‘टीच फॉर इंडिया’ के साथ काम कर रही थी चार साल तक और मैं मुंबई और पुणे के स्लम में बच्चों को फुल टाइम टीचर की हैसियत से पढ़ा रही थी तो ये जो एक अनुभव था उससे मैंने बहुत कुछ सीखा और उस संगठन के साथ मैंने चार साल काम किया। कम्युनिकेशन में भी काम किया और इनके साथ काम करने के दौरान मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला
शान का मानना है कि समाज में कुछ भी गलत होते देखकर उसे रोकने लिए आगे आना जरूरी है और इसके लिए सोच में बदलाव लाना होगा। उन्होंेने कहा, इसकी शुरुआत माइंडसेट से होती है। हमें लड़कों-लड़कियों दोनों की परवरिश पर व माइंडसेट पर ध्यान देना होगा। हम घर, स्कूल दोस्तों के बीच और अपने आसपास जो देखते हैं उसी से प्रभावित होते हैं, सीखते हैं। कुछ भी गलत होते देखकर उसे रोकने के लिए आगे आना होगा और यह दो-तीन दिन में नहीं होगा। बदलाव आने में 10-20 साल लग सकते हैं, लेकिन यह होगा जरूर।
मरीन आर्कटिक पीस सैंक्चुरी की एंबेसडर और क्लाइमेट रियलिटी लीडर, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर की एंबेसडर के रूप में काम करने वाली शान साउथ एशिया फेलो की पूर्व ट्रैकर भी रही हैं। वह खुद को खुशकिस्मत मानती हैं कि उन्हें आगे बढ़ने का अवसर मिला और समाज कल्याण के लिए खासकर बच्चों की शिक्षा और पर्यावरण को लेकर वह आगे भी काम करते रहना चाहती हैं।