कश्मीर : 3 पुलिसकर्मियों की हत्या बाद 5 पुलिसकर्मियों ने नौकरी छोड़ी
श्रीनगर, 21 सितंबर (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर के शोपियां जिले में शुक्रवार को आतंकवादियों ने तीन पुलिसकर्मियों के अपहरण और उनकी हत्या से पुलिस बल सकते में है।
वहीं, हिजबुल मुजाहिदीन की जान से मारने की धमकियों के डर के कारण पांच पुलिसकर्मियों ने इस्तीफा दे दिया है। जम्मू एवं कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों ने तीन पुलिसकर्मियों का अपहरण कर लिया और इसके कुछ ही घंटों बाद गोली मारकर तीनों की हत्या कर दी।
पुलिस के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि एक गांव से सुबह गोलियों से छलनी तीनों शव बरामद किए गए। अपराधियों की तलाश की जा रही है।
मारे गए पुलिसकर्मियों की पहचान फिरदौस अहमद कुचई, निसार अहमद धाबी और कुलदीप सिंह के रूप में की गई है।
एसपीओ पुलिस बल की सबसे निचली श्रेणी है।
इस हादसे से पहले आतंकवादियों ने कुछ मस्जिदों से घोषणा कर पुलिसकर्मियों से अपनी नौकरी छोड़ने या परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।
पुलिस ने कहा कि एक पुलिसकर्मी के भाई सहित चार लोगों को गुरुवार रात शोपियां स्थित उनके घरों से अगवा किया गया था।
चारों को कापरान और बाटगुंड गांवों से अगवा किया गया था। दोनों गांव सेब के घने बगीचे से चारों ओर से घिरे हुए हैं।
अपहृत चौथा व्यक्ति नागरिक था और स्थानीय लोगों के विरोध के बाद आतंकियों ने उसे सुरक्षित छोड़ दिया था।
स्थानीय समाचार एजेंसियों के अनुसार, हिजबुल ने अपहरण और हत्या की इस घटना की जिम्मेदारी ली है।
पुलिस ने उन अफवाहों को खाजिर कर दिया, जिसमें कहा जा रहा था कि मृतक पुलिसकर्मियों के शवों के साथ दरिंदगी की गई थी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, गोलियों से छलनी पुलिसकर्मियों के शव कापरान गांव से बरामद हुए। शवों के साथ दरिंदगी नहीं की गई थी।
जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने मृतकों को पुष्पांजलि अर्पित की।
कश्मीर जोन के पुलिस महानिरीक्षक एस.पी. पाणि के नेतृत्व में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने शोपियां पुलिस लाइन में मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
पुलिस ने ट्वीट किया, हमने इस निर्मम आतंकी घटना में अपने तीन बहादुर साथियों को खो दिया है। तीनों जवानों को श्रद्धांजलि। हम इस अमानवीय कृत्य की निंदा करते हैं और साथ ही आश्वस्त करते हैं कि दोषियों को सजा दिलाई जाएगी।
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घटना पर दुख जताते हुए कहा कि वार्ता ही कश्मीर में जारी हिंसा के दुष्चक्र का समाधान हो सकता है।
महबूबा ने ट्वीट किया, तीन और पुलिसकर्मियों ने आतंकवादियों की गोलियां खाकर अपनी जान गंवा दी। हमेशा की तरह गुस्सा, दुख और निंदा जैसे शब्द सुनने को मिलेंगे, लेकिन दुर्भाग्य से इससे मृतकों के परिवारों को सांत्वना नहीं मिलेगी।
उन्होंने कहा, स्पष्ट रूप से पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों के अपहरण की घटनाओं में वृद्धि के साथ केंद्र सरकार की नीति बिल्कुल काम नहीं कर रही है। संवाद अब एकमात्र रास्ता प्रतीत होता है।
प्रति माह मात्र 6,000 रुपये के पारिश्रमिक पर एसपीओ राज्य में आतंकवाद-रोधी अभियानों में लगे हुए हैं। राज्य में लगभग 36,000 एसपीओ हैं। उन्हें वर्दी दी जाती है, लेकिन अन्य पुलिसकर्मियों की तरह उन्हें हथियार नहीं दिए जाते।
आतंकवादी लगातार एसपीओ को अपनी नौकरी छोड़ने या खामियाजा भुगतने की धमकी देते रहे हैं।
शुक्रवार की घटना दक्षिण कश्मीर में पुलिसकर्मियों व सुरक्षा बलों पर हमले और अपहरण का ताजा मामला है।