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‘वित्तीय साक्षरता, वित्तीय समावेशन से आएगी अर्थव्यवस्था में तेजी’

नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| देश में वित्तीय साक्षरता और वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए न सिर्फ सरकार की तरफ से बल्कि संबंधित हितधारकों की तरफ से प्रयास में तेजी लाने की जरूरत है, ताकि देश की अर्थव्यवस्था को साल 2025 तक या उससे पहले ही 5,000 अरब डॉलर बनाने के लक्ष्य को पूरा किया जा सके, जबकि इस दिशा में नीतिगत मोर्चे पर सुधार के काम लगभग पूरे हो चुके हैं। आर्थिक मामलों के अतिरिक्त सचिव सी. एस. मोहापात्रा ने शनिवार को यह बातें कही।

पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित ‘पूंजी बाजार और वस्तु बाजार’ 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ना’ कॉनक्लेव का उद्घाटन करते हुए डॉ. मोहापात्रा ने विस्तार से बताया कि सरकार अपनी तरफ से सबसे अच्छा प्रयास कर रही है और पहले ही जरूरी नीतिगत कदमों को उठाया जा चुका है, ताकि देश के संस्थागत तंत्र की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हो सके, जिससे वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने का रास्ता साफ हो। इस कॉनक्लेव की अध्यक्षता संस्कृति राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा ने की।

अतिरिक्त सचिव ने कहा सरकार अपनी तरफ से एनपीए (बैंकों के फंसे हुए बड़े कर्जे) की समस्या से निपटने के लिए आईबीसी (भारतीय दिवाला संहिता) और एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के माध्यम से अपनी तरफ से सबसे बेहतर प्रयास कर रही है। इसके सकारात्मक नतीजे जल्द ही सामने आने लगेंगे।

उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण हथियार वस्तु बाजार और पूंजी बाजार को लेकर वित्तीय साक्षरता तथा वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए प्रयासों को तेज करने की जरूरत है।

वहीं, पीएची चेंबर के उपाध्यक्ष डी. के. अग्रवाल ने कमोडिटी लेनदेन कर और सुरक्षा लेनदेन कर में कटौती की मांग की। उन्होंने कहा कि इस कदम से सरकार के कर में कई गुणा बढ़ोतरी होगी, क्योंकि इससे संबंधित बाजारों में लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा।

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