जहां तक मेरा सवाल है, लड़ाई खत्म हो गई : नांबी
तिरुवनंतपुरम, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| जासूसी के आरोप में गिरफ्तार होने व अपमान झेलने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 50 लाख रुपये का मुआवजे देने के आदेश देने के कुछ घंटे बाद पूर्व इसरो वैज्ञानिक एस. नांबी नारायणन ने कहा कि उनके लिए लड़ाई अंतिम रूप से समाप्त हो चुकी है।
उन्होंने कहा, मैं खुश हूं कि एक तीन सदस्यीय समिति, न कि आयोग को जांच के लिए गठित किया गया है। अब तक, यह एक लड़ाई थी। लेकिन, यह अब समाप्त हो गई है। मैं अब अपने लिए जीना चाहता हूं। बहुत हो गया।
नारायणन केरल पुलिस व अन्य एजेंसियों द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए फर्जी मामले में जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय गए थे।
उन्होंने केरल उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें न्यायालय ने राज्य के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें उन्हें फर्जी मामले में फंसाने व 50 दिनों तक जेल में रहने को मजबूर करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्णय लिया गया था।
नारायणन ने कहा, यह लंबी लड़ी गई लड़ाई है या फिर न्यायिक युद्ध है। समिति को मामले के पीछे साजिश का पर्दाफाश करने दीजिए। इस फैसले के बाद, पुलिस अधिकारियों को अहसास होना चाहिए कि वे अपने कार्यो से बच नहीं सकते हैं।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने मुआवजे का आदेश देते हुए इस मामले से जुड़े अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है। समिति का नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डी.के. जैन करेंगे।
इन अधिकारियों में तत्कालीन पुलिस महानिदेशक सिबी मैथ्यूज और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के.के जोशुआ और एस. विजयन शामिल हैं।
पूर्व इसरो वैज्ञानिक ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि समिति अपनी जांच तीन से छह महीने में समाप्त कर लेगी।
यह मामला 1994 का है, जब नांबी, इसरो के एक और शीर्ष अधिकारी, मालदीव की दो महिलाओं और एक व्यापारी पर जासूसी के आरोप लगाए गए थे। नारायणन गिरफ्तार हुए थे।
सीबीआई ने 1995 में इन्हें क्लीनचिट दे दी थी और तब से वह इस मामले की जांच में शामिल सिबी मैथ्यूज और अन्य अधिकारियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।