विद्यालयी शिक्षा और डीएलएड पाठ्यक्रम मेंं शामिल होगी ‘प्रायोगिक शिक्षा गांधीजी की नई तालीम’
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद ने तैयार की है यह खास पुस्तिका
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को सचिवालय में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद के वर्क एजुकेशन को विद्यालयी शिक्षा और डीएलएड पाठ्यक्रम में सम्मिलित कराने के लिए तैयार की गई पुस्तिका ‘प्रायोगिक शिक्षा गांधीजी की नई तालीम’ का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने प्रदेश विश्वविद्यालयों, राज्य एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद के संयुक्त प्रयासों से तैयार ‘प्रायोगिक शिक्षा गांधीजी की नई तालीम’ अभियान कार्यक्रम के लिए बधाई दी।
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर प्रदेश विश्वविद्यालयों, राज्य एससीईआरटी और महात्मा गांधी ग्रामीण शिक्षा परिषद के सम्मिलित प्रयासों से तैयार ‘प्रायोगिक शिक्षा गांधीजी की नई तालीम’ अभियान का प्रचार-प्रसार देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में जारी है। गांधी जी की नई तालीम या बुनियादी शिक्षा शरीर, मस्तिष्क और आत्मा के विकास का सम्पूर्ण विचार है, जिसमें किसी उत्पादक, कला, शिल्प या सामुदायिक संलग्नता की गतिविधियों को शिक्षा का केन्द्र बनाया गया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा,” शिक्षा को मात्र व्यवसायिक व रोजगार का माध्यम नही होना चाहिए बल्कि शिक्षक व अभिभावको को शिक्षा के सामाजिक प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा। छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षक व अभिभावकों के मध्य निरन्तर संवाद आवश्यक है। शिक्षक, अभिभावक, छात्रों के मध्य भी त्रिकोणीय रचनात्मक संवाद होना चाहिए ताकि छात्र-छात्राओं की कमियां दूर की जा सके।”
प्रायोगिक शिक्षा गांधीजी की नई तालीम के अन्तर्गत कार्य शिक्षा व प्रायोगिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर फोकस किया जा रहा है। विश्वविद्यालयों के साथ ही केन्द्र व राज्य सरकारों तथा एससीईआरटी के माध्यम से कार्य शिक्षा और प्रायोगिक शिक्षा के क्षेत्रों में स्कूली एवं शिक्षक प्रशिक्षण में विशेष प्रयास चल रहे है। अभियान को स्कूली शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण से जोड़ने के लिए कक्षा एक से 12 और डीएलएड व बीएड के लिए पाठयक्रम तैयार किया है।