जेपी हॉस्पिटल ने 92 साल की इराकी महिला को दी नई जिंदगी
नोएडा, 6 सितम्बर (आईएएनएस)| नोएडा के जेपी हॉस्पिटल ने कहा है कि हृदय की गंभीर बीमारी से पीड़ित 92 साल की एक इराकी महिला महरोब सादून अब्बास को उसके डॉक्टरों ने नया जीवन दिया है। एक बयान में कहा गया है कि बीमारी की वजह से महिला के दिल की बाईं धमनी ने 90 प्रतिशत तक काम करना बंद कर दिया था, जिससे उनके बचने की संभावना काफी कम थी। कार्डियक सर्जरी के निदेशक डॉ. मनोज लूथरा ने अपनी टीम के साथ कोरोनरी आर्टरी बाइपास सर्जरी (सीएबीजी) को सफलतापूर्वक पूरा कर महिला को नया जीवन दिया।
बयान के मुताबिक, इराक की रहने वाली महरोब सादून अब्बास पिछले 10 साल से दिल की बीमारी से जूझ रही थीं और ब्लॉकेज दूर करने के लिए उन्हें दो बार स्टेंट लगाए गए थे। स्टेंट की वजह से उन्हें छाती में हमेशा दर्द रहता था, कमजोरी रहती और कुछ भी करने या अक्सर आराम से रहने पर भी सांस फूलने लगती थी। इन बीमारियों और बढ़ती उम्र से उनकी हालत बिगड़ने लगी, उनका चलना मुश्किल हो गया। इसके अलावा डायबीटीज, हाई ब्लड प्रेशर और किडनी की अंतिम स्टेज की बीमारी उनके लिए घातक सिद्ध हो रही थी।
जेपी हॉस्पिटल के कार्डियक सर्जरी के निदेशक डॉ. मनोज लूथरा ने बताया, महरोब सादून अब्बास दिल-धमनी की बीमारी की मरीज थीं। इसमें एक या अधिक धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं और दिल को खून नहीं पहुंचता है। मरीज की पहले भी दो बार बड़ी हार्ट सर्जरी हो चुकी है और ब्लॉकेज दूर करने के लिए स्टेंट भी लगाए गए थे। ब्लॉकेज की समस्या फिर भी हो गई। उनकी उम्र और अन्य बीमारियों को देखते हुए ईरान और तुर्की के प्रमुख हॉस्पिटलों ने उनकी सर्जरी करने से मना कर दिया क्योंकि इसमें बड़ा जोखिम था।
उन्होंने कहा, महिला की हालत देखते हुए उनका परिवार यहां पहुंचा। गहन जांच से यह पता चला कि मरीज को दिल के बाएं भाग (बाएं मुख्य दिल-धमनी में ब्लॉकेज की गंभीर समस्या) की गंभीर बीमारी है। इससे उनके बीमार रहने और जान जाने का भी खतरा था। इतना ही नहीं, इससे पहले लगे स्टेंट भी आंशिक रूप से ब्लॉक हो गए थे जिससे मरीज की हालत और खराब हो गई थी। इसके बाद डाक्टरों ने मरीज को कोरोनरी बाइपास ग्राफ्टिंग सर्जरी की सलाह दी।
डॉ. लूथरा ने कहा, हमने पूरी बारीकी से ऑपरेशन शुरू किया। सर्जरी में न्यूनतम चीरा लगाने की प्रक्रिया अपनाई गई ताकि सर्जरी के दौरान जोखिम और संबंधित समस्याओं का खतरा भी न्यूनतम हो। हमने अपने कौशल का पूरा लाभ लेते हुए निर्धारित समय के अंदर सर्जरी पूरी कर ली और सफल रहे। सर्जरी के बाद मरीज की उचित देखभाल की गई और मरीज के सभी ‘वाइटल्स’ स्थिर देखते हुए 26 अगस्त 2018 को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
ऑपरेशन के बाद महरोब सादून अब्बास ने कहा, जेपी हॉस्पिटल ने मुझे नई जिन्दगी दी है। मैं तो उम्मीद हार गई थी पर मेरे परिवार के लोगों की जिद पर इलाज के लिए भारत आई। जेपी हॉस्पिटल की देखभाल से न केवल मेरा शरीर स्वस्थ हुआ बल्कि मुझे जीने का नया उत्साह मिल गया। अब मुझे नए सिरे से जिन्दगी जीनी है।