उपराष्ट्रपति ने 45 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान किए
नई दिल्ली, 5 सितम्बर (आईएएनएस)| उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को यहां शिक्षक दिवस पर देश के 45 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2017 प्रदान किए। पुरस्कारों में रजत पदक, प्रमाणपत्र और 50 हजार रुपये की नकद पुरस्कार राशि शामिल है। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक राष्ट्रीय विकास के प्रमुख कर्णधार हैं। उन्होंने कहा, आप शिक्षकों की बदौलत हमारी शिक्षा प्रणाली स्थिर गति से उत्कृष्टता की ऊंचाइयों तक बढ़ रही है। आपके शानदार योगदान को मानते हुए सरकार न सिर्फ आपको मान्यता देती है, बल्कि आपको प्रतिबद्धता, उत्कृष्टता और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक समझती है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के सभी देश भारत को विश्व गुरु मानते हैं। उन्होंने कहा, ज्ञान और विद्या के क्षेत्र में हमारा योगदान हजारों वर्ष पुराना है। बहरहाल, आज बच्चों, युवाओं और वयस्कों को बेहतर शिक्षा प्रदान करना हमारे लिए एक चुनौती है।
नायडू ने कहा कि प्रयोग द्वारा सीखना सबसे अच्छा तरीका होता है। उन्होंने कंफ्यूशियस का उद्धरण दिया, जिसमें कंफ्यूशियस ने कहा था, मैं सुनता हूं और भूल जाता हूं। मैं देखता हूं और याद रखता हूं। मैं करता हूं और समझ जाता हूं।
नायडू ने कहा कि हमें गुरुदेव टैगोर, अरबिन्द और महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलना चाहिए, जो गतिविधियों के जरिए शिक्षण पर बल देते थे। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने शिक्षा के संबंध में ‘नई तालीम’ नामक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत किया था, जिसके तहत गतिविधियों के जरिए शिक्षा प्रदान करने पर बल दिया गया था।
इस मौके पर मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, शिक्षण अत्यंत सम्मानीय पेशा है और शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने का उद्देश्य उन्हें राष्ट्र विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित करना है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हमने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की चयन प्रक्रिया में बदलाव किया है। इस वर्ष अभिनव शिक्षण पद्धति, सूचना प्रोद्योगिकी के इस्तेमाल, रचनात्मक शिक्षण, समुदायों को प्रेरित करने और नागरिक भावना को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षकों को चुना गया है। शिक्षकों को सिफारिशों पर नहीं, बल्कि उनके प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कृत किया गया है।
जावड़ेकर ने कहा कि देशभर से कुल 6692 आवेदन प्राप्त हुए थे। पुरस्कारों की संख्या को 45 तक निश्चित किया गया। यह कदम पुरस्कारों की प्रतिष्ठा को बहाल करने के लिए उठाया गया। पहले 300 से अधिक पुरस्कार दिए जाते थे।