चीन के नापाक चाल के ‘कर्ज जाल’ में बुरी तरह फंस चुका है पाकिस्तान : अमेरिका
वॉशिंगटन: चीन के वन बेल्ट, वन रोड की योजना के जरिये चीन नापाक चाल रहा है। चीन की हकीकत को वैसे सभी देश समझ रहे हैं लेकिन पाकिस्तान इस बात को नही समझ रहा हैं। वन बेल्ट, वन रोड के तहत चीन पूरी दुनिया में अपने दबदबे का कायम करना चाहता है। आपको बता दे चीन की इस नीति के अब विरोध और दुष्प्रभाव भी सामने आ रहा है। चीन-पाक आर्थिक गलियारे के जरिए पाकिस्तान में चीन भारी निवेश कर रहा है। लेकिन उसकी इस नीति की वजह से पाकिस्तान के सामने बड़ी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। वहीँ अमेरिकी सांसदों का कहना है कि पाकिस्तान बुरी तरह चीन के इस कर्ज जाल में फंस गया है।
पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार ने इस संबंध में अंतरराष्ट्री मुद्रा कोष से राहत पैकेज की मांग की है। जबकि अमेरिकी सांसदों का कहना है कि पाकिस्तान में करेंट अकाउंट डेफिसिट जिस तेजी से बढ़ता जा रहा है जिसके बाद पाकिस्तानी की अर्थव्यवस्था पूरी तरह डगमगा जाएगी।
इस संबंध में अमेरिकी सीनेटर डेविड ए पारड्यू, पैट्रिक लेहे और 14 सीनटेरों ने विदेश मंत्री माइक पोंपियो और वित्त मंत्री स्टीवेन टी यूचिन से अपनी आशंका का जिक्र किया है। इन सांसदों का मानना है कि चीन के कर्ज को उतारने के लिए पाकिस्तान, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद मांग रहा है। यूनाइटेड स्टेटस का कहना है कि चीन दुनिया के 68 देशों में वन बेल्ट, वन रोड का विस्तार कर रहा है। चीन की इस नीति की वजह से 23 देश उसकी कर्ज नीति में बुरी तरह फंस चुके हैं।
यह ‘वन बेल्ट, वन रोड‘ परियोजना का जाल-
चीन की नापाक योजना वन बेल्ट वन रोड में 78 देश शामिल हैं हलांकि इस परियोजना के आलोचकों की आशंका है कि इसमें शामिल देश क़र्ज़ के जाल में ऐसे उलझ रहे हैं कि निकलना बेहद ही मुश्किल होगा।
इन आशंकाओं के साथ इस परियोजना से जुड़े कुछ विवादों के कारण और हवा मिली है। पाकिस्तान, श्रीलंका, मोंटेनेग्रो, लाओस और मलेशिया पर बढ़ते चीनी क़र्ज़ की बात दुनिया भर में हो रही है। चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के तहत हो रहे काम इतने गोपनीय हैं कि अब तक लगने वाली रक़म तक को सार्वजनिक नहीं किया गया है। चीन का कितना पैसा लगा है और जिस देश में काम हो रहा है उसका कितना हिस्सा है यह अब तक एक रहस्य बना हुआ है।
एक अध्ययन के अनुसार चीन ने जिन 78 देशों को इसमें शामिल किया है उनमें से कई की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडी का भी यही आकलन है कि जिन 78 देशों को चीन ने इस योजना में शामिल किया है उनमें से कई की अर्थव्यवस्था निवेश के लायक नहीं हैं।
चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर के तहत चीन पाकिस्तान में 60 अरब डॉलर की योजनाओं पर काम कर रहा है. सीपीईसी के कारण पाकिस्तान चीन से भारी पैमाने पर सामान आयात कर रहा है और इस वजह से उसका आयात का खर्च बेशुमार बढ़ गया है। क़र्ज़ों के भुगतान के कारण पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग ख़ाली हो गया है।इस वक़्त पाकिस्तान विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहा है।