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मप्र : सियासतदानों की शह पर समाज में घुल रहा जहर

भोपाल, 3 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में राजनीतिक दलों और उनके नेताओं में एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा तो रही है, मगर कभी भी समाज में ‘जहर घोलने’ की कोशिश नहीं हुई। यही कारण रहा कि किसी भी नेता ने एक-आध अपवाद को छोड़कर कभी गंभीर आरोप लगाने में रुचि नहीं दिखाई। यह मर्यादा और परंपरा अब मगर टूटने की कगार पर है। आलम तो यह है कि नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाने के मामले में किसी भी हद तक चले जाते हैं, जिससे जनमानस में जहर घुलने लगा है।

राज्य में अगले तीन से चार माह के भीतर विधानसभा चुनाव होना तय है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी जहां लगातार चौथी बार जीतने के लिए हर दांवपेंच लगाने में जुटी है, वहीं डेढ़ दशक से ‘वनवास’ झेल रही कांग्रेस भी किसी मामले में पीछे नहीं रहना चाहती।

अब देखिए न, रविवार की रात सीधी जिले के चुरहट विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रथ पर कुछ असामाजिक तत्वों ने पथराव किया, जिससे लक्जरी बस जैसे रथ के कुछ कांच दरक गए तो राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने इसे ‘हत्या की साजिश’ बता डाला।

रथ पर हमला रात साढ़े नौ बजे होता है और गृहमंत्री लगभग 15 घंटे बाद ऐलान कर देते हैं कि यह मामूली हमला नहीं, बल्कि हत्या की साजिश थी। गृहमंत्री को इस बात का खुलासा भी करना चाहिए कि उनके पास यह इनपुट किस एजेंसी के जरिए आया।

चुरहट के विधायक और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का सीधा आरोप है कि यह कांग्रेस नेताओं को फंसाने की भाजपा द्वारा रची गई साजिश है और सहानुभूति बटोरने की नई चाल है। सिंह ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री के रथ पर पथराव वास्तव में गुप्तचर एजेंसी की असफलता है और इस कारण गृहमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।

एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज के रथ पर पथराव का मामला तूल पकड़े हुए है तो दूसरी ओर भाजपा की दमोह जिले के हटा से विधायक उमा देवी खटीक के बेटे प्रिंसदीप लालचंद खटीक ने कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को ‘जान से मारने’ की धमकी दे डाली है।

खटीक ने फेसबुक पर लिखा है, सुन ज्योतिरादित्य! तेरी रगों में जीवाजी राव का खून है, जिसने बुंदेलखंड की बेटी झांसी की रानी का खून किया था, अगर उपकाशी हटा में प्रवेश कर इस धरती को अपवित्र करने की कोशिश की, तो गोली मार दूंगा। लहारी में ही या तो मेरी मौत होगी या तेरी।

इससे हटकर राज्य के लगभग हर हिस्से में संसद द्वारा एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन का चौतरफा विरोध हो रहा है। जगह-जगह सांसदों, विधायकों और मंत्रियों को घेरा जा रहा है, उन्हें काले झंडे दिखाए जा रहे हैं। इससे समाज के सवर्ण व आरक्षित वर्ग में तनाव की स्थितियां बन रही हैं। जबकि दोनों ही दल इस एक्ट में संशोधन को जायज ठहरा रहे हैं। दोनों दलों की सियासी मजबूरियां अपनी जगह हैं और समाज की सच्चाई अपनी जगह।

राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा कहते हैं, राज्य में हमेशा से राजनीतिक सौहार्द रहा है, सत्ता और विपक्ष में कभी भी इस तरह के टकराव के हालात नहीं बने थे, जैसे वर्तमान में नजर आ रहे हैं। यह सब जान रहे हैं कि चुरहट के पथराव को मुख्यमंत्री की हत्या की साजिश बताने के पीछे की मंशा क्या है, वहीं सिंधिया को धमकी क्यों दी गई है। यह राज्य की सियासत और समाज के लिए किसी भी सूरत में अच्छी नहीं है, नेताओं को अपने लाभ के लिए इस तरह के हथकंडों से बचना चाहिए।

चुनाव में कुछ महीने की देरी है, मगर अभी से बात ‘हत्या की साजिश’ और ‘जान से मारने की धमकी’ तक पहुंचने लगी है, सवाल उठ रहा है कि क्या वास्तव में इस बार का विधानसभा चुनाव, चुनाव न होकर हिंसक संघर्ष का रूप ले लेगा?

नेताओं का नजरिया जब टकराव पैदा करने वाला है तो कार्यकर्ता किस हद तक जाएंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। राज्य के दोनों दलों के नेताओं को बड़ा दिल दिखाना चाहिए। सत्ता तो आती-जाती रहेगी, मगर समाज में विद्वेष फैल गया तो शांति और भाईचारा लाना आसान नहीं होगा।

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