पीसीओएस के लक्षणों से अनजान हैं 50 प्रतिशत महिलाएं
नई दिल्ली, 3 सितम्बर (आईएएनएस)| नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अनुसार, चार में से एक महिला ‘पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम’ (पीसीओएस) नामक अंत:स्रावी तंत्र विकार से पीड़ित हैं। बेहद आम बीमारी होने के बावजूद इसके बारे में जागरूकता की कमी होने के कारण यह खतरनाक हो जाती है। 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं इस बात से अनजान हैं कि वे इस विकार से पीड़ित हैं। सितंबर के ‘विश्व पीसीओएस जागरूकता माह’ होने पर डॉ. बत्रा मल्टी-स्पेशिएलिटी होम्योपैथी का उद्देश्य इसके प्रति जागरूकता फैलाना और होम्योपैथी के द्वारा इसके सुरक्षित तथा प्रभावशाली उपचार के विषय में लोगों को जागरूक करना है।
अनियमित और दर्दनाक मासिक, चेहरे और शरीर पर बालों का बढ़ना और पतला होना, तेजी से वजन बढ़ने जैसे लक्षणों के साथ पीसीओएस अक्सर आत्म-सम्मान के कम होने का कारण बनता है। इसे यदि अनदेखा किया जाए तो यह बांझपन, मधुमेह, हृदय रोग और एंडोमेट्रियल कैंसर जैसी खतरनाक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
पीसीओएस का इलाज होम्योपैथी से किया जा सकता है और इससे पीड़ित महिलाएं पीसीओएस मुक्त, स्वस्थ और सामान्य जीवन जी सकती हैं।
विश्व पीसीओएस जागरूकता माह पर टिप्पणी करते हुए डा. बत्रा समूह के संस्थापक और अध्यक्ष एमेरिटस और पद्मश्री डॉ. मुकेश बत्रा ने कहा, महिलाएं किसी भी समाज में स्वास्थ्य देखभाल की रीढ़ हैं। हालांकि, अक्सर वे अपने स्वास्थ्य को अनदेखा करती हैं। एक देश के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि उसकी महिलाएं स्वस्थ हों। मेरे 44 साल के प्रैक्टिस में, मैंने पीसीओएस के लक्षणों के साथ अधिक से अधिक महिलाओं को देखा है। होम्योपैथी सुरक्षित, सिद्ध और लागत प्रभावी उपचार विधियों की पेशकश करता है।