जन्माष्टमी स्पेशल 2018 : जानिए श्रीकृष्ण के जन्म की उस रात की कहानी
मथुरा : कंस की यातनाएं इस कदर बढ़ गयी, कि उनकी अपनी बहन देवकी की शादी के दिन आकाशवाणी हुई, कि देवकी की आंठवी संतान ही उनका वध करेगा l इसको सुनते ही कंस आग बबूला हो गए और अपनी लाड़ली बहन देवकी और वासुदेव को मरने के लिए अस्त्र उठा लिए l उसे रोकते हुए देवकी ने वचन दिया, कि जैसे ही उनकी संतान का जन्म होगा कंस उसे मार दे।
फिर ऐसे करते करते कंश ने देवकी की 6 संतानों को मार दिया l तभी सारे देवगणों ने मिलकर योजना रची और देवकी की सातवीं संतान को नन्द की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भाशय में स्थापित कर दिया बिना कंश को पता चले l इन्होंने ने ही बलराम के रूप में जन्म लिया l आकाशवाणी के कहे अनुसार आठवीं संतान के जन्म के समय एक एक कर सारे पहरेदार सो गए और कारागृह के सारे दरवाज़े भी खुल गएl
नन्द ने श्रीकृष्ण को अपने सर पर उठाया और गोकुल में रह रहे नन्द महाराज के घर की ओर प्रस्थान किया l उन्होंने नन्द के घर जन्मी बेटी को श्रीकृष्णा से बदल दिया l जब कंस वध करने पंहुचा तो उस बच्ची के रूप में जन्मी देवी योग माया ने उसे इस सत्य से अवगत कराया, कि उसके काल का जन्म हो चुका है l
ये सब सुनकर धूर्त कंश ने मथुरा में जन्मे सारे बच्चों को मरवाने का हुक्म दिया l तरह तरह के मायावी राक्षसों की भी मदद ली मगर सफल न हो सका l कृष्णा ने बड़े होने के पश्चात मल्ल युद्ध में कंश का वध कर दिया और मथुरावासियों को उनके अत्याचारों से मुक्त किया l
रिपोर्ट – द्वारकेश बर्मन