खनिज धातु पर प्रदर्शनी बुधवार से, 400 कंपनियां जुटेंगी
नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)| खनिज धातु, धातु विज्ञान और सामग्री अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी और सम्मेलन (एमएमएमएम) के 12वें संस्करण का उद्घाटन बुधवार को किया जाएगा। इसमें 15 देशों के 400 से अधिक प्रदर्शक भाग ले रहे हैं। यहां जारी एक बयान के अनुसार, प्रगति मैदान में आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्घाटन केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बिरेंद्र सिंह करेंगे। प्रदर्शनी में वैश्विक इस्पात नेता और भारत इस्पात उद्योग के दिग्गज मौजूदा चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।
बयान के अनुसार, खनिज समृद्ध राज्यों झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक और गुजरात से राज्यस्तरीय भागीदारी के अलावा देश-स्तर के चीन, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, फिनलैंड, जर्मनी, इटली, रूस, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका से भी भागीदारी होगी। सात देशों के व्यापार प्रतिनिधिमंडल निवेश के अवसरों के लिए प्रदर्शनी में आएंगे।
बयान के अनुसार, एमएमएमएम 2018 इस्पात मंत्रालय, खान मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय और वैज्ञानिक औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अलावा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के समर्थन से आयोजित किया जा रहा है।
इंटरनेशनल ट्रेड एंड एक्जिबिशन (आईटीईआई) के निदेशक संजीव बत्रा ने कहा, हमें आशा है कि सरकार दीर्घकालिक स्थायित्व और सकारात्मक पारिस्थितिक तंत्र को प्रोत्साहित करने के लिए स्पष्ट नीति शुरू करेगी।
टाटा स्टील लिमिटेड के सीईओ और प्रबंध निदेशक टीवी नरेन्द्रन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में खनिज और धातु क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने वाली एक चालक शक्ति रही है, और इस क्षेत्र में वर्तमान में राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 4-5 प्रतिशत योगदान है।
नरेन्द्रन ने कहा कि इस्पात क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि देखी जा रही है और यह प्रवृत्ति पूरे विश्व में आर्थिक गतिविधियों में सुधार के साथ जारी रहेगी।
इंडियन स्टील एसोसिएशन के महासचिव और कार्यकारी प्रमुख डॉ. भास्कर चटर्जी ने कहा कि इस्पात मंत्रालय भारत सरकार द्वारा दो महत्वपूर्ण नीतियों के पारित होने के साथ राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 और घरेलू रूप से निर्मित आयरन के लिए प्राथमिकता पर नीति और स्टील उत्पाद कच्चे माल की सुरक्षा में वृद्धि अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने आयात निर्भरता को कम करने और उचित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने जैसी महत्वपूर्ण चिंताओं को सामने आया है।