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आपातकाल पीड़ितों को मिले स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा

नई दिल्ली, 26 अगस्त (आईएएनएस)| देश के 20 राज्यों से जुटे अखिल भारतीय लोकतंत्र सेनानी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि आपातकाल पीड़ितों को ‘स्वतंत्रता सेनानी’ का दर्जा दिया जाए और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने की व्यवस्था सरकार करे।

अखिल भारतीय लोकतंत्र सेनानी संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष गोवर्धन प्रसाद अटल ने कहा, करीब नौ राज्यों ने लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान निधि देने की घोषणा की है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, बिहार, उत्तराखंड तथा महाराष्ट्र सरकार ने 15 हजार से 25 हजार तक सम्मान राशि, स्वास्थय व यात्रा सुविधाओं की घोषणा की है।

अखिल भारतीय लोकतंत्र सेनानी संयुक्त संघर्ष समिति की शनिवार को हुई सभा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि शेष बचे राज्यों के लोकतंत्र सेनानियों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देकर उन्हें सम्मानपूर्वक प्रतिष्ठित करने के लिए अविलंब निर्णय लिया जाए।

अटल ने कहा कि अखिल भारतीय लोकतंत्र सेनानी संयुक्त संघर्ष समिति अयोग्यों की पेंशन की जांच की मांग करती है। संघर्ष समिति यह भी मांग करती है कि पुलिस व्यवस्था व मानसिकता में बदलाव के लिए, सरकार सक्रिय सकरात्मक कदम उठाए और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में स्वतंत्र भारत की पुलिस अपने ही नागरिकों के प्रति वैसा दमन, अत्याचार व अमानवीयता न कर सके।

अटल ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि केन्द्र सरकारों व राज्य सरकारों ने 1921-22 के मोपला विद्रोहियों, खिलाफत (1919-22) आन्दोलनकारियों, स्वतंत्रता विरोधी त्रावनकोर आंदोलन, चीन सर्मथक कम्युनिस्ट आंदोलनों के संघर्षकारियों को सम्मान निधि पेंशन दे रही है। अकेले केन्द्र सरकार ने 2017-20 के दौरान 2525 करोड़ की व्यवस्था इस हेतु कर रखी है तथा तदनुसार 1980 से भी अब तक जोड़ें तो मात्र 38 वर्षो में 7000 से 8000 करोड़ रुपये उक्त स्वतन्त्रता सेनानियों की सम्मान पेंशन पर खर्च किए हैं, जिनमें राष्ट्र का अधिकतर पैसा आयोग्यों को जा रहा है। जबकि राष्ट्रीय आंदोलनकारियों व लोकतंत्र व मौलिक आधिकारों, प्रेस स्वातंय के लिए तथा आपातकाल के विरूद्ध लड़ने वालों को उपेक्षित छोड़ दिया गया है।

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