अटल श्रद्धांजलि : रक्षाबंधन में बुंदेली बेटियां नहीं झूलेंगी झूला!
बांदा, 26 अगस्त (आईएएनएस)| ‘झूला तो पर गवा अमवा की डार मा, बिटिया झूला झूले ..!’ हर साल रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार में बगीचों में झूला डाल कर बहन-बेटियां झूला झूलती थीं और इस सावनी गीत को सुनने के लिए गांव के छोटे-बड़े व बुजुर्गो की लाम बगीचों में इकट्ठा हो जाया करती थीं। लेकिन, इस बार ऐसा नहीं होगा। बुंदेलखंड की बेटियां भारतरत्न व सर्वमान्य नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत से बेहद दुखी हैं और रक्षाबंधन के त्योहार में झूला न झूलकर उन्हें श्रद्धांजलि देने का फैसला किया है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियों को देश की हर नदी में विसर्जित कर भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उन्हें श्रद्धांजलि देने की योजना बनाई हो, लेकिन बुंदेलखंड की बहन-बेटियों ने श्रद्धांजलि देने का जो तरीका अपनाया है, उससे तो यही लगता है कि बुंदेली बेटियां भी उनकी मौत से बेहद दुखी हैं। रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार में बुंदेली बेटियों ने झूला न झूल कर उन्हें श्रद्धांजलि देने का फैसला किया है और यह पहल नारी इंसाफ सेना व पब्लिक एक्शन कमेटी जैसी सामाजिक संस्थाओं ने किया है।
नारी इंसाफ सेना की केन्द्रीय अध्यक्ष वर्षा भारतीय ने रविवार को कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सर्वमान्य नेता थे, उनकी मौत से बुंदेलखंड की बहन-बेटियां बेहद दुखी हैं। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पब्लिक एक्शन कमेटी के साथ मिलकर समूचे बुंदेलखंड की बेटियां रक्षाबंधन के त्योहार में झूला नहीं झूलेंगी और सादगी के साथ सिर्फ अपने भाइयों के कलाई में राखी बांधेंगी।
एक सवाल के जवाब में वर्षा ने कहा, काश! देश के मौजूदा पीएम अटल जी होते तो बहन-बेटियों पर इस तरह के अत्याचार न होते।
पब्लिक एक्शन कमेटी (पीएसी) की प्रमुख श्वेता मिश्रा ने कहा कि श्रद्धेय अटल जी ‘अटल’ रहे और उनकी विचारधारा सदियों तक अटल रहेगी। अटल जी ने हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर देश हित में कार्य किया है, इसलिए बुंदेली बहने उनकी मौत से बेहद दुखी हैं और रक्षाबंधन के त्योहार में झूला न झूल कर उन्हें श्रद्धांजलि दे रही हैं।
बांदा जिले में तेंदुरा गांव की ग्राम प्रधान शैलेंद्री सिंह ने बताया, उनके गांव में हर साल राम जानकी मंदिर के पास बरम बाबा के पेड़ की डाल में रक्षाबंधन के त्योहार में सार्वजनिक झूला डाला जाया करता था, लेकिन इस साल अटल जी को श्रद्धांजलि देने के लिए झूला तो पड़ेगा, लेकिन राधा-कृष्ण को झुलाने के बाद कोई बहन-बेटी झूला नहीं झूलेगी।