कैंसर की पुनरावृत्ति पर भी अब स्तन पुन:निर्माण कारगर
जयपुर, 25 अगस्त (आईएएनएस)| स्तन कैंसर के कई मामलों में रोग की पुनरावृत्ति की संभावना रहती है। ऐसे में अगर रोगी स्तन कैंसर उपचार के दौरान ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन करवा चुका है तो रोग की पुनरावृत्ति पर उसके स्तन को बचाना संभव नहीं हो पाता था। लेकिन भगवान महावीर कैंसर अस्पताल के चिकित्सकों ने हाल ही में कैंसर की पुनरावृत्ति में भी ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन की राह आसान बना दी। अस्पताल के कैंसर सर्जन डॉ. प्रशांत शर्मा, प्लास्टिक सर्जन डॉ. उमेश बंसल और डॉ. सौरभ रावत की टीम ने आधुनिक पद्धति से सफल ऑपरेशन कर रोग की पुनरावृत्ति में भी ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन की राह आसान बना दी है।
अस्पताल की तरफ से जारी एक बयान में डॉ. प्रशांत शर्मा ने कहा है, एक 42 वर्षीय महिला के बाएं स्तन में गांठ का दो बार ऑपरेशन होने के बाद भी फिर से गांठ बन गई। गांठ बड़ी थी और लगभग पूरे ही स्तन में फैल गई थी। उपचार के लिए पूरा स्तन निकालना आवश्यक था। मरीज से सहमति मिलने पर ऑपरेशन के जरिए मरीज का बायां स्तन निकाला गया। फिर पेट से चमड़ी और वसा लेकर नया स्तन डाइप तकनीक से बनाया गया। नए स्तन को रक्त पहुंचाने के लिए उसकी रक्त वाहिनियों को कांख (बगल) की रक्त वाहिनियों से जोड़ा गया।
बयान में डॉ. उमेश बंसल ने कहा है, पहले ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन में ऑटोलोगस डाइप तकनीक से ही ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन किया जाता था, जिसमें छाती या पीठ की रक्त वाहिनियों का इस्तेमाल किया जाता था। ऐसे में रोग की पुनरावृत्ति पर दोबारा ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन संभव नहीं होता है। हाल ही में हुई सर्जरी में ऑटोलोगस टिश्यू की रक्त वाहिनियों को माइक्रोस्कोप की सहायता से कांख की सूक्ष्म रक्तवाहिनियों से जोड़ा गया। इससे भविष्य में स्तन कैंसर की पुनरावृत्ति पर पीठ की मांसपेशियों का इस्तेमाल कर पुन: स्तन निर्माण कर सकते हैं।
डॉ. शर्मा ने बताया, कई बार स्तन कैंसर के उपचार के लिए ऑपरेशन के दौरान पूरा स्तन निकालना पड़ता है। इससे उत्पन्न शारीरिक विकृति महिलाओं को असहज कर देती है व हीनभावना को जन्म देती है। इससे बचने के लिए ब्रेस्ट कन्जरवेशन सर्जरी या ब्रेस्ट रि-कन्सट्रक्शन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।