उप्र : वाजपेयी को श्रद्घांजलि देने के बाद विधानसभा स्थगित
लखनऊ, 23 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन गुरुवार को सदन की कार्यवाही केवल 40 मिनट चली। इस दौरान उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसका समूचे विपक्ष ने समर्थन किया। इसके बाद सदन की कार्यवाही 27 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई।
विधानसभा में सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई। कार्यवाही शुरू होते ही सदन के नेताओं एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्घांजलि देते हुए शोक प्रस्ताव पढ़ा। उन्होंने कहा कि अटलजी जैसा शिखर पुरुष मिलना कठिन है। सभी दलों के भीतर उनकी बराबर स्वीकार्यता थी इसी वजह से वह सभी के प्रिय थे।
योगी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी का छह दशक का लंबा कार्यकाल राजनीतिक इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने हमेशा ही मूल्यों एवं सिद्घांतों की राजनीति की। राष्ट्रहित उनके लिए सवरेपरि था। उन्होंने देशहित में कई कड़े फैसले भी लिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके समय में परमाणु परीक्षण हुआ जिसके बाद दुनियाभर में भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की श्रेणी में गिना जाने लगा। वह एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ ही एक प्रखर वक्ता और कवि भी थे। उनके निधन से देश ने एक सच्चा और महान सपूत खो दिया है।
इस दौरान सदन में विपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी ने भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपनी श्रद्घांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा कि वाजपेयी अपनी कार्यशैली एवं उदार व्यक्तित्व की वजह से विपक्ष के बीच भी लोकप्रिय थे। साहित्य से भी उनका काफी लगाव था। उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया। हम सभी आज उनके निधन से दुखी हैं और उनको पूरी पार्टी की तरफ से श्रद्घांजलि अर्पित करते हैं।
इसके बाद विधानसभा में बसपा के नेता लालजी वर्मा, कांग्रेस के नेता अजय कुमार लल्लू ने भी पार्टी की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को श्रद्घांजलि अर्पित की।
सबसे अंत में विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा,वह हमेशा ही सभी के रहे और सभी को ऊपर उठाने का प्रयास किया। इसीलिए वह अक्सर कहा करते थे कि हे प्रभु ऐसी ऊंचाई मत देना की गैरों को गले न लगा सकूं।
दीक्षित ने कहा कि विपक्ष के नेता के रूप में अटलजी के तौर तरीकों को सीखना बहुत जरूरी है। वह हमेशा ही पक्ष और विपक्ष दोनों के बीच लोकप्रिय रहे। उनका जाना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।