IANS

क्या चैटबॉट्स और गेम्स होंगे अगली पीढ़ी के डायग्नोस्टिक टूल्स?

नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| चैटबॉट्स और गेम्स को स्वास्थ्य की जानकारी देनेवाले वाले सबसे सहज टूल के रूप में शायद नहीं देखा जाता है, लेकिन दुनिया भर के लोगों के लिए यह प्रौद्योगिकी दो प्रमुख अवरोधों को दूर करने में मददगार है, जो उन्हें उनकी देखभाल करने से रोकती है, ये हैं दूरी और धन।

जो लोग दूरदराज के क्षेत्रों में रहते हैं, उनके लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भी मीलों दूर हो सकता है। ऐसे स्थिति में जब एक-एक पल भारी पड़ रहे हों, किसी चैटबॉट द्वारा त्वरित निदान पाना, जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर हो सकता है। यहां तक कि मरीज की स्थिति ज्यादा खराब न भी हो तो भी उसे लंबी दूरी की यात्रा कराकर स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाने से स्थिति गंभीर हो जाती है, जो अन्यथा सुधार कर सकता है।

स्वास्थ्य देखभाल में धन भी एक प्रमुख बाधा है, थेरेपी जैसी सेवाएं सस्ती नहीं है। अगर चैटबॉट्स नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग और मशीन लर्निग का प्रयोग कर वर्चुअल थेरेपिस्ट के रूप में काम करता है, तो यह बहुत कम खर्च में लोगों को सहायता प्रदान कर सकता है।

एक और पहलू जो भावनाओं से जुड़ा है। चूंकि छोटे बच्चे अक्सर डॉक्टर के पास जाने से डरते हैं, ऐसे में निदान के वैकल्पिक तरीके अपील करने वाले हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ ओट्टावा के स्कूल ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एंड कंप्टूयर साइंस के प्रोफेसर और आईईईई के फेलो शेरविन शिरमोहम्मदी ने कहा, गेम्स का एआई कई समस्याओं की जांच और निदान में सक्षम है, जिसमें ध्यान न दे पाना, हाइपरएक्टिविटी विकार (एडीएचडी), ऑटिज्म, विजुअल सिक्वेंटल मेमोरी डेफिसिएंशी, स्पीच डिसऑर्डर जैसी समस्याएं शामिल हैं। इनमें कई गेम्स को सरकारी मंजूरी के एफडीए के पास भेजा गया है, और भविष्य में कई ऐसे नए गेम्स का निर्माण जारी है।

तो कितनी संभावना है कि इन आशाजनक प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल में तेजी आएगी?

चैटबॉट्स किसी जनरल प्रैक्टिसनर (डॉक्टर) के सहायक की भूमिका निभाने लगे हैं। आईईईई सदस्य सुकन्या मंडल का कहना है, चैटबॉट्स का इस्तेमाल स्वास्थ्य सेवा उद्योग में बढ़ने लगा है। लेकिन यह शुरुआती अवस्था है। अभी तो चैटबॉट्स का आगाज ही हुआ है। अभी इनमें काफी सुधार होना बाकी है, खासकर सटीकता, भरोसा, निष्पक्षता और उत्तरदायित्व के संदर्भ में, जो व्यापक रूप से स्वीकार्य हो।

लेकिन अभी कई चुनौतियां बाकी है। आईईईई के फेलो और टूफ्ट यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट इंजीनियरिंग के डीन करन पानेटा का कहना है, यहां तक कि सबसे बेहतरीन चैटबाट्स भी आपकी मदद नहीं कर सकता, अगर आपके इंटरनेट कनेक्टिविटी ना हो।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close