देश से कुपोषण समाप्त करने में आंकड़ों का संकलन महत्वपूर्ण : विशेषज्ञ
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| देश के विकास की राह में बाधक कुपोषण की समस्या से निजात दिलाने में आंकड़ों का विशेष महत्व है और आंकड़ों का सही तरीके संकलन होने पर ही समुचित तरीके से इस पर विजय पाई जा सकती है। यह राय सोमवार को यहां कुपोषण पर एक संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने रखी। संगोष्ठी का आयोजन ‘वल्र्ड विजन इंडिया’ द्वारा करवाया गया था। कार्यक्रम के दौरान परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई स्थित ग्रामीण क्षेत्र के लिए प्रौद्योगिकी केंद्र (सितारा) के केंद्राध्यक्ष और प्रोफेसर सतीश अग्निहोत्री ने कहा कि कुपोषण की समस्या दूर करने का लक्ष्य बहुत दूर नहीं है, मगर इस लक्ष्य को पाने के लिए खास रणनीति अपनानी होगी।
उन्होंने कहा कि इसके लिए जिला और खंड स्तर पर काम करना होगा और सही तरीके से आंकड़ों का संकलन कर उसके अनुसार रणनीति बनानी होगी।
अग्निहोत्री ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, कुपोषण के खिलाफ जंग की शुरुआत गर्भवती माता से होती है। सबसे पहले, उनका कद और उनका वजन जानना होगा। माता स्वस्थ होगी तो बच्चा स्वस्थ होगा। इसलिए गर्भवती महिलाओं के पोषण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके बाद शिशु के जन्म के एक साल तक का समय काफी महत्वपूर्ण होता है।
उन्होंने कहा, जन्म के बाद स्तनपान के लिए माता का पोषण जरूरी है। माता का पोषण होगा तो शिशु का भी पोषण होगा। साथ ही, शिशु को समय पर सारे टीके लगवाए जाएं, यह सुनिश्चित करना जरूरी होता है।
अग्निहोत्री ने क्रिकेट मैच की अवधारणा पर आधारित अपने एक प्रेजेंटेशन में कुपोषण के खिलाफ जंग छेड़कर उसपर विजय पाने का अपना नजरिया पेश किया। उन्होंने कहा कि एक ब्लॉक या जिला में मिली सफलता से दूसरी जगह उसे लागू करने में मदद मिलेगी।
परिचर्चा में पहुंचे विशेषज्ञों ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों का इस दिशा में कार्य सराहनीय है और कुपोषण के खिलाफ जारी जंग में बहुत हद तक सफलता मिली है।
वर्ल्ड विजन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, इस मौके पर प्रोफेसर एम. एस. स्वामीनाथन ने अपने वीडियो संदेश में कहा, हमने खाद्य सुरक्षा, खाद्य उपलब्धता सुनिश्चित की है और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू किया है तथा एकीकृत बाल विकास सेवाएं भी शुरू की हैं। इसके बावजूद कुपोषण मौजूद है।
उन्होंने कहा, अगर आप स्वस्थ माताएं और स्वस्थ बच्चे चाहते हैं तो आपको अलग-अलग प्रकार की भुखमरी पर हमला बोलना होगा। मेरा मानना है कि हमें अब खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़कर पोषण सुरक्षा की ओर कदम बढ़ाना होगा जहां न सिर्फ कैलोरी और प्रोटीन बल्कि माइक्रोन्यूट्रिंट्स भी मायने रखते हैं। इसके लिए हमें कृषि, स्वास्थ्य और पोषण को एक साथ त्रिकोणीय रिश्ते में लाना होगा, जिसे केवल भागीदारी के माध्यम से ही साकार किया जा सकता है।
वल्र्ड विजन इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी चेरियन थॉमस ने कहा, वल्र्ड विजन इंडिया और कोएलिशन फॉर फूड एंड न्यूट्रिशन सिक्योरिटी का संयुक्त प्रयास है। कुपोषण भारत में महामारी की तरह है और मानव विकास की राह में सबसे बड़ी चुनौतियों में से है। कुपोषण से निपटने के लिए परिवार के स्तर पर व्यवहार में बदलाव लाना होगा, कड़ी निगरानी व्यवस्था कायम करनी होगी, स्वतंत्र रूप से मॉनीटरिंग तथा नीतियों, कार्यक्रमों एवं बजटीय व्यवस्था के लिए नॉलेज मैनेजमेंट करना होगा।