एचआईवी मरीजों पर केंद्र से जवाब तलब
नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को ह्यूमन इम्यूनोडिफिसियंसी वायरस (एचआईवी) से प्रभावित लोगों व एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिसियंसी सिंड्रोम (एड्स) मरीजों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कानून को तत्काल अधिसूचित करने की मांग वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति सी.हरिशंकर ने स्वास्थ्य मंत्रालय व राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नैको) से जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब दाखिल करने को कहा है। इस जनहित याचिका में एचआईवी व एड्स (रोकथाम व नियंत्रण) अधिनियम 2017 पर तत्काल अधिसूचना की मांग की गई है।
पीठ ने पूछा कि सरकार कानून क्यों नहीं अधिसूचित कर रही है और मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।
अदालत दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा शिबानी रॉस वर्मा की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है। वर्मा ने अधिनियम को अधिसूचित करने में एक साल की देरी पर सवाल उठाया है। इस अधिनियम को राष्ट्रपति से 20 अप्रैल, 2017 को मंजूरी मिल चुकी है।
इस कानून का मकसद एचआईवी व एड्स को फैलने से रोकना व नियंत्रण करना और वायरस से पीड़ित व्यक्ति के मानवाधिकारों की रक्षा करना है।
यह अधिनियम एचआईवी व एड्स से पीड़ितों के खिलाफ भेदभाव को रोकता है और उनके इलाज के संबंध में गोपनीयता प्रदान करता है।